नयी दिल्ली : बैंक अधिकारी अब बिना किसी भय के फैसले कर सकेंगे. केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 50 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक धोखाधड़ी की जांच को लेकर सलाहकार बोर्ड का गठन किया है. पूर्व सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन इस बोर्ड के प्रमुख होंगे. यह बोर्ड बैंकिंग धोखाधड़ी की जांच करेगा और कार्रवाई की सिफारिश करेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में कहा था कि ईमानदारी से फैसले करने वालों का संरक्षण किया जायेगा.
माना जा रहा है कि इस फैसले से बैंक अधिकारियों में भरोसा कायम हो सकेगा कि उनके द्वारा किये गये सही फैसलों को लेकर उन पर अभियोजन नहीं चलेगा. इससे बैंक अधिक ऋण दे सकेंगे. यह बोर्ड तय करेगा कि कोई मामला आपराधिक है या यह एक सही वाणिज्यिक फैसला था. इसी के आधार पर बोर्ड कार्रवाई की सिफारिश करेगा. सीवीसी के इस फैसले पर वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि इससे बैंक अधिकारी ने बिना किसी भय के सही और व्यावसायिक रूप से उचित फैसले ले सकेंगे.
इस समिति को पुराने अवतार को बैंक, वाणिज्यिक और वित्तीय धोखाधड़ी पर सलाहकार बोर्ड कहा जाता था. बैंकिंग धोखाधड़ी पर सलाहकार बोर्ड (एबीबीएफ) का गठन रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श के बाद किया गया है. सीवीसी ने एक आदेश में कहा कि एबीबीएफ बड़े धोखाधड़ी के मामलों में पहले स्तर की जांच का काम करेगा. उसके बाद ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जांच एजेंसियों से जांच की सिफारिश कर सकेंगे.
चार सदस्यीय बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में महाप्रबंधक और उससे ऊपर के स्तर के अधिकारी से जुड़े मामले आयेंगे. बैंक 50 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के सभी मामले बोर्ड के पास भेजेंगे और उसकी सिफारिश या सलाह पर संबंधित बैंक उस मामले में आगे की कार्रवाई करेंगे. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भी किसी तरह की परेशानी या तकनीकी मुद्दा सामने आने पर मामले को बोर्ड के पास भेज सकेगा. समिति के अन्य सदस्यों में पूर्व शहरी विकास सचिव मधुसूदन प्रसाद, सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक डीके पाठक और आंध्रा बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेश एन पटेल शामिल हैं.
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