निर्मला सीतारमण का ऐलान- आर्थिक सुस्ती से पार पाने को त्यौहारों के मौके पर 400 जिलों में लगेगा लोन मेला
नयी दिल्लीः अर्थव्यवस्था में सुस्ती दूर करने और कारोबारी गतिविधियां बढ़ाने के लिये सरकार ने आगामी त्योहारी मौसम में बैंकों और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) तथा आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) से कर्ज वितरण बढ़ाने पर जोर दिया है. अगले कुछ दिनों में देशभर के 400 जिलों में बैंक, एनबीएफसी और एचएफसी खुली बैठकें कर […]
नयी दिल्लीः अर्थव्यवस्था में सुस्ती दूर करने और कारोबारी गतिविधियां बढ़ाने के लिये सरकार ने आगामी त्योहारी मौसम में बैंकों और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) तथा आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) से कर्ज वितरण बढ़ाने पर जोर दिया है. अगले कुछ दिनों में देशभर के 400 जिलों में बैंक, एनबीएफसी और एचएफसी खुली बैठकें कर मकान, वाहन और दूसरे कार्यों के लिये कर्ज लेने वाले किसानों, खुदरा कर्ज लेनदारों और छोटे उद्यमियों को कर्ज उपलब्ध करायेंगे.
इसके अलावा दबाव झेल रहे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को राहत देते हुये यह निर्णय लिया गया है कि बैंक 31 मार्च 2020 तक ऐसे एमएसएमई के कर्ज को गैर- निष्पादित संपत्ति (एनपीए) यानी अवरुद्ध कर्ज घोषित नहीं करेंगे. इस संबंध में बैंक अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुये संबंधित एमएसएमई के साथ विचार विमर्श कर उसके कर्ज का पुनर्गठन कर सकते हैं और यहां तक कि कुछ और कर्ज देकर उसकी समस्या को दूर कर सकते हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ करीब तीन घंटे चली बैठक में बैंकों और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में नकदी की स्थिति की समीक्षा की.
इस दौरान उन्होंने 23 अगस्त के बाद से अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिये उठाये गये कदमों की प्रगति की भी समीक्षा की जिसमें 10 बैंकों का विलय कर उन्हें चार बड़े बैंक बनाना भी शामिल है. वित्त मंत्री ने कहा कि यह कहा जा रहा है कि बैंकों में पर्याप्त मात्रा में नकदी मौजूद है लेकिन एनबीएफसी और एचएफसी नकदी की तंगी से जूझ रहे हैं. इस तरह की शंकाओं को दूर करने के लिये देशभर में कुल मिलाकर 400 जिलों में बैंकों, एनबीएफसी, एचएफसी की खुली बैठकें होंगी. इसमें कर्ज लेने वाले किसान, खुदरा कर्ज लेने वाले और एमएसएमई भी पहुंचेंगे.
सीतारमण ने कहा कि यह काम पहले चरण में 200 जिलों में होगा. वित्त मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में खुली बैठकों के लिये अब से लेकर 29 सितंबर और दूसरे चरण में अगले 200 जिलों के लिये 10 से 15 अक्टूबर की तिथि बताया. हालांकि, बाद में अधिकारियों ने इन तिथियों में बदलाव करते हुये कहा कि इस तरह की खुली बैठकों का पहले चरण का आयोजन तीन से सात अक्टूबर 2019 तक और दूसरे चरण का आयोजन 11 अक्टूबर 2019 से अगले कुछ दिन तक चलेगा.
संभवत: इन दिनों चल रहे पितृ-पक्ष को देखते हुये तिथियों में यह बदलाव किया गया. वित्त मंत्री ने बताया कि वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर बैठकों के लिये समन्वय का काम करेंगे. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की घोषणा के खिलाफ बैंक कर्मियों की प्रस्तावित हड़ताल के बारे में एक सवाल पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि हम उनकी चिंताओं का समाधान करेंगे.
बैंक यूनियनों ने 26 सितंबर से दो दिन की हड़ताल का आहृवान किया है. उल्लेखनीय है कि अगस्त 2019 की समाप्ति पर बैंकों की कुल कर्ज वृद्धि 10.1 प्रतिशत रही. बैंकों में फंसे कर्ज की वसूली के साथ ही बैंकों के बही खातों को भी साफ सुथरा बनाया गया. वर्ष 2018- 19 में बैंकों से कुल कर्ज वितरण 11.83 लाख करोड़ रुपये रहा है. इससे पिछले वर्ष यह 8.53 लाख करोड़ रुपये रहा था.
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