सरकार ने इकोनॉमी को फिर दिया बूस्ट, बोले पीएम- कॉरपोरेट टैक्स में कटौती ऐतिहासिक कदम, जानें घोषणाओं की मुख्य बातें
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंद पड़ती आर्थिक वृद्धि और निवेश में तेजी लाने के इरादे से कंपनियों के लिये शुक्रवार को कई उपायों की घोषणा की. उनकी घोषणा करने के बाद शेयर बाजार में रौनक नजर आ रही है.घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती […]
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंद पड़ती आर्थिक वृद्धि और निवेश में तेजी लाने के इरादे से कंपनियों के लिये शुक्रवार को कई उपायों की घोषणा की. उनकी घोषणा करने के बाद शेयर बाजार में रौनक नजर आ रही है.घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती ऐतिहासिक कदम , इससे ‘मेक इन इंडिया’ में बड़ा उछाल आएगा. पिछले कुछ सप्ताहों में उठाये गये कदम दर्शाते हैं कि हमारी सरकार समाज के सभी तबकों के लिए अवसरों में सुधार करने के वास्ते कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही है. प्रधानमंत्री ने उम्मीद जतायी कि नवीनतम कदम समूचे विश्व से निजी निवेश आकर्षित करेंगे, भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए समृद्धि में वृद्धि करेंगे. आाइए आपको बताते हैं वित्त मंत्री की घोषणा की मुख्य बातें…
1. आयकर अधिनियम में एक नया प्रावधान किया गया है, जो वित्त वर्ष 2019-20 से प्रभावी होगा. इससे किसी भी घरेलू कंपनी को 22 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान करने का विकल्प मिलेगा. हालांकि इसके लिये शर्त होगी कि वे किसी प्रोत्साहन का लाभ नहीं लेंगे.
2. उपकर और अधिभार समेत इन कंपनियों के लिये प्रभावी दर 25.17 प्रतिशत होगी. साथ ही ऐसी कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर का भुगतान नहीं करना होगा.
3. विनिर्माण क्षेत्र में नया निवेश आकर्षित करने तथा मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिये आयकर अधिनियम में एक और नया प्रावधान किया गया है. इससे एक अक्टूबर 2019 या इसके बाद गठित किसी भी कंपनी को विनिर्माण में निवेश करने पर 15 प्रतिशत की दर से आयकर भरने का विकल्प मिलेगा. यह लाभ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा जो कोई अन्य प्रोत्साहन या छूट नहीं लेंगे और 31 मार्च 2023 से पहले परिचालन शुरू करेंगे.
4. इन कंपनियों के लिये अधिशेष और उपकर समेत प्रभावी कर की दर 17.01 प्रतिशत होगी. साथ ही इन कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर देने की जरूरत नहीं होगी.
5. यदि कोई कंपनी कम की गयी दरों पर भुगतान करने का विकल्प नहीं चुनती है और कर छूट एवं प्रोत्साहन का लाभ उठाती है, तो वह पुरानी दरों पर भुगतान करना जारी रखेंगी. ये कंपनियां छूट व प्रोत्साहन की अवधि समाप्त होने के बाद संशोधित दरों का विकल्प चुन सकती हैं. विकल्प चुनने के बाद उनके लिये प्रभावी कर की दर 22 प्रतिशत होगी. एक बार विकल्प चुन लेने के बाद उन्हें उसमें बने रहना होगा.
6. छूट व प्रोत्साहन का लाभ जारी रखने का विकल्प चुनने वाली कंपनियों को राहत देने के लिये न्यूनतम वैकल्पिक कर की दर 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी.
7. पूंजी बाजार में निवेश प्रवाह को बढ़ाने के लिये वित्त कानून, 2019 के जरिये लागू ‘बढ़ी हुई दर से अधिभार’ अब प्रतिभूति लेन-देन करने वाली कंपनियों के शेयरों की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ पर नहीं लगेगा.
8. साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर डेरिवेटिव समेत प्रतिभूतियों की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर बढ़ी हुई दर से लगाया गया अधिभार अब नहीं लगेगा.
9. सूचीबद्ध कंपनियों को भी राहत दी गयी है. इसके तहत जिन सूचीबद्ध कंपनियों ने पांच जुलाई से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा की है, उन्हें उसके लिये कर नहीं देना होगा.
10. सरकार ने सीएसआर का दायरा भी बढ़ाया है. कंपनियों को अब कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत दो प्रतिशत राशि केंद्र या राज्य सरकार या किसी एजेंसी अथवा सार्वजनिक लोक उपक्रमों द्वारा वित्त पोषित इनक्यूबेशन (पालना केंद्र), विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग या औषधि के क्षेत्र में शोध कर रहे सरकार से वित्त पोषित विश्वविद्यालयों, आईआईटी, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और डीआरडीओ, आईसीएआर जैसे संस्थानों के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त निकायों पर खर्च करने की भी छूट दी गयी है.
11. इन घोषणाओं से सरकारी खजाने पर 1,45,000 करोड़ रुपये का असर पड़ने का अनुमान है.
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