कोल इंडिया में 100 फीसदी FDI के खिलाफ हड़ताल, यूनियनों का दावा- ठप रहा कामकाज
रांची : कोल इंडिया में 100 फीसदी एफडीआई के विरोध में कोल इंडिया के सभी इकाइयों के कर्मचारी मंगलवार को हड़ताल पर रहे. सेंट्रल कोलफिल्ड लिमिटेड (सीसीएल) मुख्यालय में भी विभिन्न मजदूरों संघों के बैनर तले कर्मचारी हड़ताल पर रहे. हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के हाथों पर तख्तियां थीं, जिसपर मांगें लिखी थीं. हड़तालकर्मी सभी […]
रांची : कोल इंडिया में 100 फीसदी एफडीआई के विरोध में कोल इंडिया के सभी इकाइयों के कर्मचारी मंगलवार को हड़ताल पर रहे. सेंट्रल कोलफिल्ड लिमिटेड (सीसीएल) मुख्यालय में भी विभिन्न मजदूरों संघों के बैनर तले कर्मचारी हड़ताल पर रहे. हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के हाथों पर तख्तियां थीं, जिसपर मांगें लिखी थीं. हड़तालकर्मी सभी कोल कंपनियों के विलय के सरकार की घोषणा के खिलाफ भी नारेबाजी कर रहे थे. रांची मुख्यालय से 766 कर्मचारी हड़ताल पर रहे.सीसीएल और बीसीसीएल के सभी कोयला खदानों में भी हड़ताल का असर देखा गया. खदानों में माल ढुलाई और लदान दोनों बंद रहे.
कोयला क्षेत्र के श्रम संघों ने दावा किया है कि उनकी एक दिन की हड़ताल से कोल इंडिया लिमिटेड और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड की खदानों में काम पूरी तरह से ठप हो गया है. उनका कहना है कि इन खदानों में कोयले का उत्पादन और लदान बिल्कुल बंद है. श्रम संगठन कोयला निकासी क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को अपने पूर्ण स्वामित्व में कारोबार की अनुमति देने की नीति का विरोध कर रहे हैं.
संघों का कहना है कि इस हड़ताल की विशेषता यह थी कि नौजवान मजदूरों और महिला कामगारों ने न केवल हड़ताल में भाग लिया बल्कि सामूहिक रूप से हड़ताल को सफल बनाने में सक्रिय रूप से हिस्सेदारी निभायी. हड़ताल का आयोजन सरकारी क्षेत्र की इन दोनों कोयला कंपनियों में सक्रिय श्रम संघों के पांच महासंघों ने किया है. कुल पांच लाख से अधिक कोयला श्रमिक इनके सदस्य हैं.
अखिल भारतीय कोयला श्रमिक महासंघ (एआईसीडब्ल्यूएफ) के महासचिव डी डी रामनंदन ने बताया, ‘हड़ताल से सभी कोयला खानों में उत्पादन पूरी तरह बंद है और वहां से कोयले की लदाई और निकासी भी बंद है.’ देश के कोयला उत्पादन में कोल इंडिया का 80 प्रतिशत योगदान है. हड़ताल के कारण इस कंपनी को एक दिन में 15 लाख टन कोयला उत्पादन का नुकसान होने का अनुमान है.
अधिकारियों ने नहीं की कोई टिप्पणी
कंपनी के अधिकारी हड़ताल के बारे में कोई टिप्पणी करने को उपलब्ध नहीं थे. इस हड़ताल का आह्वान इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन (इंटक), हिंद खदान मजदूर फेडरेशन (एमएमएस), इंडियन माइनवर्कर्स फेडरेशन (एटक), ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन (सीटू) और ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू) ने मिल कर किया है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएसएस) उपरोक्स संगठनों की हड़ताल से अलग है और वह इसी मुद्दे पर सोमवार से 27 सितंबर तक पांच दिन तक कोयला क्षेत्र काम बंद हड़ताल पर है.
मजदूर संघों का दावा, हड़ताल 100 फीसदी सफल
विभिन्न क्षेत्रों के मजदूर संघों से दावा किया है कि हड़ताल 100 फीसदी सफल रहा है. संघ की ओर से जो डाटा उपलब्ध कराया गया है. उसके अनुसार ईसीएल को छोड़कर सभी इकाइयों में हड़ताल के दौरान कामकाज ठप रहा. एक कर्मचारी के अनुसार ईसीएल में तृणमूल कांग्रेस के कुछ लोगों ने तीन आउटसोर्सिंग को पुलिस की सहयोग से चालू करने की कोशिश की. फिर भी कुल मिलाकर ECL के बंगाल पोर्शन में 70 फीसदी हड़ताल और झारखंड पोर्शन में हड़ताल 100 फीसदी सफल रही.
संघों का दावा है कि बीसीसीएल में हड़ताल 100 फीसदी, सीसीएल में 100 फीसदी, डब्ल्यूसीएल में 100 फीसदी, एसईसीएल में 100 फीसदी, एनसीएल में 98 फीसदी, एमसीएल में 100 फीसदी, सीएमपीडीआई में 100 फीसदी, एससीसीएल में 100 फीसदी सफल रहा.
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