नयी दिल्ली : नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने गुरुवार को कहा कि पिछली सरकारों के रवैये के विपरीत मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार कृषि क्षेत्र के अर्थशास्त्रियों की सिफारिशों पर ज्यादा ध्यान देती है. उन्होंने कृषि-अर्थशास्त्रियों से आग्रह किया कि वे इस मौके का लाभ उठायें और अपने अनुसंधान कार्य और विचारों को सरकार के साथ साझा करें. यह सरकार कृषि क्षेत्र की तस्वीर को बदलने और किसानों को बेहतर आय सुनिश्चित करने की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है.
कृषि मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘इंडिया एग्रीकल्चर आउटलुक फोरम 2019’ में चंद ने कहा कि लगभग 20 वर्षों से इस देश के कृषि अर्थशास्त्रियों ने निराशाजनक समय बिताया है, क्योंकि कृषि-अर्थशास्त्रियों ने जो भी सुझाव सरकार को दिया, उस पर गौर नहीं किया गया और उसे आगे नहीं बढ़ाया गया. उन्होंने कहा कि कृषि-अर्थशास्त्रियों ने सब्सिडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य सुझावों के अलावा कानून में बदलाव का सुझाव दिया था.
उन्होंने कहा कि उनमें से कई मुद्दों पर एकमत राय होने के बावजूद नीति निर्माता और राजनीतिक वर्ग के अंदर शायद ही कार्रवाई के लिए कोई पहल हुई हो. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति बेहद अनुकूल हो गयी है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आज निर्णय लेने की प्रक्रिया में लोग कृषि-अर्थशास्त्रियों की सिफारिशों के प्रति ग्राह्यता का रवैया रखते हैं और हमें इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कृषि-अर्थशास्त्रियों के पास पहले से ही कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने की इच्छा थी, अब अंतर यह है कि अब उन इच्छाओं को जमीन पर उतारने के लिए उपयुक्त काम करने का माहौल है. उन्होंने कहा कि पीएम-किसान और प्रधान मंत्री किसान योजना के शुभारंभ जैसे कई उपायों से पता चलता है कि बदलाव की ओर एक जोरदार पहल है. उन्होंने कृषि अर्थशास्त्रियों से अपील की कि वे मौजूदा स्थिति का फायदा उठाएं, क्योंकि इस तरह का माहौल आमतौर पर नहीं होता है. चंद कृषि क्षेत्र के रूपांतरण तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्रियों की एक उच्चस्तरीय समिति के सदस्य भी हैं.
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