22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिजली उत्पादकों का डिस्कॉम्स पर 57 फीसदी बढ़कर बकाया 78,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया

नयी दिल्ली : बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) पर बिजली उत्पादकों का कुल बकाया पिछले अगस्त महीने में एक साल पहले की तुलना में करीब 57 फीसदी बढ़कर 78,020 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यह क्षेत्र में उभरते वित्तीय संकट को दर्शाता है. बिजली मंत्रालय के प्राप्ति पोर्टल के अनुसार, अगस्त, 2018 में यह बकाया 49,669 […]

नयी दिल्ली : बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) पर बिजली उत्पादकों का कुल बकाया पिछले अगस्त महीने में एक साल पहले की तुलना में करीब 57 फीसदी बढ़कर 78,020 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यह क्षेत्र में उभरते वित्तीय संकट को दर्शाता है. बिजली मंत्रालय के प्राप्ति पोर्टल के अनुसार, अगस्त, 2018 में यह बकाया 49,669 करोड़ रुपये था. बिजली के सौदों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से इस पोर्टल की शुरुआत मई, 2018 में हुई. अगस्त में 60 दिन से अधिक पुराना बकाया 59,532 करोड़ रुपये था, जबकि पिछले साल इस प्रकार का बकाया इसी महीने 34,464 करोड़ रुपये था.

आम तौर पर बिजली उत्पादक वितरण कंपनियों को भुगतान के लिए 60 दिन का समय देते हैं. उसके बाद बकाया राशि को पुराने बकायों की श्रेणी में रख दिया जाता है और उस पर उत्पादक ज्यादातर मामलों में दंड ब्याज लगाते हैं. बिजली उत्पादन कंपनियों को राहत देने के लिए केंद्र ने एक अगस्त से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू की. इस व्यवस्था के तहत वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति के लिए साख पत्रों की व्यवस्था करने की जरूरत है.

पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, कुल बकाया राशि और भुगतान के लिए 60 दिन की मोहलत खत्म होने के बाद भी बिजली की नहीं चुकायी गयी राशि इससे पिछले महीने की तुलना में बढ़ी है. जुलाई, 2019 में बिजली वितरण कंपनियों पर कुल बकाया 76,467 करोड़ रुपये था, जबकि 60 दिन की मोहलत के बाद की बकाया राशि 56,556 करोड़ रुपये थी. जिन बिजली वितरण कंपनियों पर सर्वाधिक बकाया है, उनमें दिल्ली, राजस्थान , जम्मू – कश्मीर , तेलंगाना , आंध्र प्रदेश , कर्नाटक , तमिलनाडु की वितरण इकाइयां शामिल हैं. वे किसी किसी भुगतान में 878 दिन तक का समय लगा दे रही हैं.

दिल्ली की वितरण इकाइयां भुगतान करने में 878 दिन तक ले रही हैं. राज्यों में आंध्र प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियां भुगतान में 852 दिन तक का समय लगा रही हैं. राजस्थान में 851 दिन, हरियाणा में 849 दिन, मध्य प्रदेश में 836 दिन, तेलंगाना में 829 दिन और तमिलनाडु में 823 दिन तक का बकाया चल रहा था. कुल 59,532 करोड़ रुपये के में स्वतंत्र बिजली उत्पादकों की हिस्सेदारी 24.6 फीसदी से अधिक है.

सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादक कंपनियों में एनटीपीसी का वितरण कंपनियों पर 8,452.58 करोड़ रुपये, एनएलसी इंडिया का 4,691.49 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 2,324.05 करोड़ रुपये, टीएचडीसी इंडिया 1,936.11 करोड़ रुपये तथा दामोदर घाटी निगम का 805.71 करोड़ रुपये बकाया है. जिन बिजली वितरण कंपनियों पर सर्वाधिक बकाया है, उसमें अडाणी पावर पर 3,794.49 करोड़ रुपये, बजाज समूह के स्वामित्व वाली ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी पर 2,212.66 करोड़ रुपये तथा जीएमआर पर 1,829.68 करोड़ रुपये शामिल हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें