नयी दिल्ली : सरकारी दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल और बीएसएनएल को क्या दोबारा लाभ में लाया जा सकता है और यदि हां तो कैसे? प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन सवालों पर एक उच्च स्तरीय समिति से स्पष्टीकरण मांगा है. दूरसंचार विभाग ने घाटे में फंस गयी इन दोनों कंपनियों के पुनरुद्धार का एक प्रस्ताव पेश किया था और गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह ने दूरसंचार विभाग की पुनरुद्धार योजना को मंजूरी दे दी थी, लेकिन इस पर वित्त मंत्रालय द्वारा आपत्तियां जताये जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह निर्देश दिया है.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता में बनी पीएमओ की एक उच्च स्तरीय समिति की पिछले हफ्ते हुई बैठक में यह सवाल उठा कि क्या एमटीएनएल या बीएसएनएल का पुनरुद्धार किया जा सकता है? यदि किया जा सकता है तो कैसे? समिति ने इन प्रश्नों पर विचार करने के लिए सचिवों की एक समिति बनायी है. सचिवों की समिति में दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश, लोक उपक्रम विभाग, नीति आयोग और निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल है. यह समिति इस सप्ताह में अपना जवाब दे सकती है.
गृहमंत्री शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह ने इन दोनों कंपनियों के पुनरुद्धार के लिए प्रस्तावित पैकेज को मंजूरी दे दी थी. इस समूह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद भी थे, लेकिन बाद में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने उस प्रस्ताव पर 80 से अधिक आपत्तियां उठा दी थीं. दूरसंचार मंत्रालय ने बीएसएनएल के उद्धार के लिए 74,000 करोड़ रुपये की योजना का प्रस्ताव किया है, क्योंकि इसको बंद करने में भी सरकार को 95000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.
इस योजना में 29000 करोड़ रुपये कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये 4जी स्पेक्ट्रम और 13,000 करोड़ रुपये 4जी सेवाओं के लिए क्षमता बढ़ाने पर खर्च होने का अनुमान है. इस बारे में दूरसंचार सचिव को भेजे गए ई मेल का कोई जवाब नहीं आया.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.