बैंकाक में अगले हफ्ते होगी आरसीईपी के व्यापार मंत्रियों की बैठक, भारतीय उद्यमियों की पेशानी पर खिची हैं चिंता की लकीरें

नयी दिल्ली : आसियान और भारत, चीन, जापान समेत 16 देशों के बीच प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते पर इनके व्यापार मंत्रियों की अगले सप्ताह बैंकाक में अहम बैठक होने जा रही है. आरसीईपी वार्ताओं को लेकर भारतीय उद्योग जगत के कुछ हलकों में चिंता बरकार है. आरसीईपी वार्ताओं की यह आठवीं मंत्रीस्तरीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2019 10:28 PM

नयी दिल्ली : आसियान और भारत, चीन, जापान समेत 16 देशों के बीच प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते पर इनके व्यापार मंत्रियों की अगले सप्ताह बैंकाक में अहम बैठक होने जा रही है. आरसीईपी वार्ताओं को लेकर भारतीय उद्योग जगत के कुछ हलकों में चिंता बरकार है. आरसीईपी वार्ताओं की यह आठवीं मंत्रीस्तरीय बैठक 10 से 12 अक्टूबर को होगी. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इसमें हिस्सा लेंगे.

एक अधिकारी ने कहा कि यह वार्ताओं का अंतिम दौर हो सकता. अधिकारी ने कहा कि संभवत: यह आखिरी मंत्री स्तरीय बैठक होगी, क्योंकि उत्पाद के उद्गम संबंधी नियमों जैसे कुछ ही मुद्दों को अंतिम रूप देना बाकी रह गया है. भारतीय उद्योग जगत कोरिया, मलेशिया और आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों के बाद इन देशों के साथ व्यापार में असंतुलनों को देखते हुए चिंतित है. आरसीईपी समझौते पर 10 आसियान सदस्य देश (ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनिशया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलिपीन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) और आस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया और न्यूजीलैंड के बीच बातचीत हो रही है.

अधिकारी के मुताबिक, भारत प्रस्तावित समझौते के तहत चीन से आने वाले करीब 74-80 फीसदी उत्पादों पर शुल्क घटा या हटा सकता है. चीन के साथ द्विपक्षीय वार्ता चल रही है. चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 50 अरब डॉलर से अधिक है. अधिकारी ने कहा कि भारत इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयातित 86 फीसदी उत्पादों तथा आसियान, जापान और दक्षिण कोरिया से आयात किये गये उत्पादों के 90 फीसदी पर सीमाशुल्क में कटौती कर सकता है. इन शुल्कों को 5, 10, 15, 20 और 25 सालों के लिए हटाया या कम किया जा सकता है.

घरेलू उद्योग की रक्षा के लिए चीन से किसी उत्पाद विशेष के आयात में अचानक से वृद्धि होने पर भारत के पास सीमाशुल्क बढ़ाने का विकल्प होगा. भारत चीन से आयात होने वाले लगभग 60-65 उत्पादों के लिए इस तंत्र का उपयोग करना चाहता है. हालांकि, चीन इसे 20 वस्तुओं तक सीमित रखना चाहता है. भारतीय उद्योग जगत इस व्यापक समझौते को लेकर पहले से कई प्रकार की आशंकाए जाहिर करता रहा है.

उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि भारत आरसीईपी पर हस्ताक्षर करने पर विचार कर रहा है. इस समझौते में अन्य देश लगभग 90 फीसदी व्यापारिक उत्पादों पर आयात शुल्क को कम करने या खत्म करने का भारत पर दबाव बना रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि 2010 की शुरुआत में भारत ने आसियान, जापान, दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे प्रमुख देशों के साथ कई मुक्त व्यापार समझौते किये थे.

इन समझौते पर हस्ताक्षर से पहले उद्योग जगत की चिंताओं पर विचार नहीं किया गया, जिससे भारतीय बाजार आयातित सामान से भर गया, जबकि निर्यात में ज्यादा वृद्धि नहीं हुई. उनका कहना है कि आरसीईपी देशों के लिए भारत सबसे बड़े बाजारों में से एक है और हमारी क्षमताओं को देखते हुए सभी देश अपने उत्पादों को यहां के बाजार में पेश करने के लिए तैयार हैं.

उद्योग जगत ने चिंता जतायी कि यदि भारत चीन के उत्पादों पर आयात शुल्क हटाता है, तो उसे बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान होगा, जबकि सरकार पहले से ही कम राजस्व की वजह से वाहन उद्योग पर जीएसटी कम करने में सक्षम नहीं है.

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