MPC बैठक : शुक्रवार को रेपो रेट में एक और कटौती की घोषणा कर सकता है RBI

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक के बाद केंद्रीय बैंक शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजे की घोषणा करेगा. उम्मीद की जा रही है कि मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने और आर्थिक वृद्धि पर दबाव को देखते हुए रिजर्व बैंक रेपो रेट में एक और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 3, 2019 7:09 PM

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक के बाद केंद्रीय बैंक शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजे की घोषणा करेगा. उम्मीद की जा रही है कि मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने और आर्थिक वृद्धि पर दबाव को देखते हुए रिजर्व बैंक रेपो रेट में एक और कटौती कर सकता है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही संकेत दे चुके हैं कि मुद्रास्फीति के अनुकूल दायरे में रहने से नीतिगत दर में नरमी की और गुंजाइश बनती है. अगस्त में की गयी 0.35 फीसदी कटौती के बाद रेपो रेट इस समय 5.40 फीसदी है.

एमपीसी की छह सदस्यीय समिति की तीन दिन की बैठक एक अक्टूबर को शुरू हुई थी. दो अक्टूबर को गांधी जयंती का अवकाश रहा. गुरुवार को दूसरे दिन की बैठक हुई. बैठक के नतीजों की घोषणा शुक्रवार को की जायेगी. सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हाल में कई कदम उठाये हैं. कॉरपोरेट टैक्स की दर में बड़ी कटौती की गयी है, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर लगाया गया बढ़ा अधिभार वापस ले लिया गया.

इसके साथ ही, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर पांच फीसदी पर आ गयी है, जो इसका छह साल का निचला स्तर है. रिजर्व बैंक इस साल लगातार चार बार में रेपो रेट में 1.10 फीसदी की कटौती कर चुका है. अगस्त की मौद्रिक नीति बैठक में एमपीसी ने रेपो रेट को 0.35 फीसदी घटाकर 5.40 फीसदी कर दिया. एक और खास बात यह है कि एमपीसी की बैठक ऐसे समय हो रही है, जब रिजर्व बैंक ने बैंकों से एक अक्टूबर से अपने सभी कर्ज को बाहरी मानक मसलन रेपो रेट से जोड़ने को कहा है. इससे रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती का लाभ अधिक तेजी से उपभोक्ताओं को मिल सकेगा.

बोफा मेरिल लिंच ने एक रिपोर्ट में कहा कि हमें उम्मीद है कि एमपीसी चार अक्टूबर को रेपो रेट में एक बार और गैर-परंपरागत यानी 0.35 फीसदी की कटौती करेगी. व्यस्त औद्योगिक सत्र के बीच इससे बैंकों के बीच अपनी ब्याज दरों को और कम करने के लिए मजबूत संदेश जायेगा.

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