नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने देश को विनिर्माण उद्योग का एक प्रमुख केंद्र बनाने के मकसद से प्रस्तावित नयी औद्योगिक नीति की रूप-रेखा निर्धारित करने के लिए व्यापक प्रतिनिधित्व वाला एक कार्यदल बनाया है. औद्योगिक एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने नीति का मसौदा तैयार कर लिया है. यह मसौदा मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जा चुका था, मगर इसके संबंध में कुछ नये सुझाव आ गये हैं.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार, इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा घरेलू उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी होंगे. यह संबंधित पक्षों की समस्याओं और सुझाव लेकर अपनी सिफारिश प्रस्तुत करेगी. कार्यदल में केंद्र सरकार के छह मंत्रालयों/विभागों वाणिज्य, राजस्व, आर्थिक मामले और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव या संयुक्त सचिव, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश , असम , गुजरात, महाराष्ट्र और दो अन्य राज्यों के उद्योग विभाग के प्रभारी अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा उद्योग संगठनों सीआईआई और निर्यातकों के संगठन फियो समेत कुछ उद्योगमंडलों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. वर्ष 1956 और 1991 की औद्योगिक नीति के बाद यह तीसरी औद्योगिक नीति होगी. इसके लिए डीपीआईआईटी ने मई, 2017 में प्रक्रिया शुरू की थी. यह नीति राष्ट्रीय विनिर्माण नीति को प्रतिस्थापित करेगी.
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