नयी दिल्ली : आयकर विभाग ने सोमवार को बिना सीधे संपर्क वाली ई-आकलन योजना की शुरुआत की. इसे कराधान सुधारों की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है. इस योजना से करदाताओं को कर अधिकारियों का आमना-सामना करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने यहां राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र (एनईएसी) का आधिकारिक तौर पर शुभारंभ किया.
शुरुआत में राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र के तहत 58,322 आयकर मामलों का चयन किया गया है. इस योजना की शुरुआत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को करनी थी, लेकिन पीएम मोदी के साथ बैठक के साथ अन्य आधिकारिक व्यस्तताओं की वजह से वह इस कार्यक्रम में भाग नहीं ले पायीं.
राजस्व सचिव ने कहा कि इस पहल से करदाता के लिए सुगमता और सुविधा बढ़ेगी. इस योजना को रिकॉर्ड समय में शुरू किया गया है. राजस्व विभाग ने कहा कि नयी पहल से आकलन प्रक्रिया में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही आयेगी. करदाताओं और कर अधिकारियों के बीच आमना-सामना की जरूरत नहीं होगी. राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र देश भर में अधिकारियों के दखल के बना ई-आकलन योजना में मदद करेगा. इससे करदाताओं को लाभ होगा.
राजस्व विभाग ने कहा कि इस योजना से करदाताओं को अनुपालन में आसानी होगी, पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी, कामकाज में विशेषज्ञता आयेगी, आकलन की गुणवत्ता का स्तर सुधरेगा और मामलों का निपटान तेजी से हो सकेगा. इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी का काम आयकर विभाग के 2,686 अधिकारियों को सौंपा गया है. बाद में संवाददाताओं से बातचीत में पांडेय ने कहा कि जिस किसी करदाता का मामला जांच के लिए चुना जायेगा, वह अपने दस्तावेज ऑनलाइन जमा करा सकेगा.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, आकलन करने वाले अधिकारी का चयन भी बिना क्रम के किया जायेगा. उन्होंने कहा कि इसमें ऐसे मामलों को जांच के लिए चुना जायेगा, जिनमें गंभीर खामियां मिलेंगी. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार व्यक्तिगत आयकर में छूट देने पर विचार कर रही है. राजस्व सचिव ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है.
बता दें कि वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने बजट भाषण में यह योजना शुरू करने की घोषणा की थी. सीतारमण का कहना था कि अभी कर आकलन में करदाता और अधिकारी को आमने-सामने आने की जरूरत होती. इससे कर अधिकारियों द्वारा कुछ ‘अवांछित व्यवहार’ के मामले भी सामने आते हैं.
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