एक्सपर्ट व्यू : अपनी हेल्थ पॉलिसी का रिव्यू जरूर करें
प्रवीण मुरारका, निदेशक, पूनम सिक्यूरिटीज हेल्थ इंश्योरेंश लेने से पहले ही पूरी पॉलिसी को जान लेना फायदेमंद होता है. जब आप पॉलिसी के अंदर आनेवाले कवरेज, प्रीमियम, क्लेम सेटेलमेंट रेशियो सहित अन्य सभी तरह की जानकारियां प्राप्त कर लेते हैं, तब आप बेहतर प्लान का चयन कर पाते हैं. लेकिन फिर भी अगर आप हेल्थ […]
प्रवीण मुरारका, निदेशक,
पूनम सिक्यूरिटीज
हेल्थ इंश्योरेंश लेने से पहले ही पूरी पॉलिसी को जान लेना फायदेमंद होता है. जब आप पॉलिसी के अंदर आनेवाले कवरेज, प्रीमियम, क्लेम सेटेलमेंट रेशियो सहित अन्य सभी तरह की जानकारियां प्राप्त कर लेते हैं, तब आप बेहतर प्लान का चयन कर पाते हैं. लेकिन फिर भी अगर आप हेल्थ इंश्योरेंश ले चुके हैं और फिर पता चलता है कि आपने सही पॉलिसी या प्लान का चयन नहीं किया है, तो चिंता की बात नहीं, अभी भी आपके पास विकल्प मौजूद है.
आप अपनी सुविधानुसार प्लान को अपग्रेड कर सकते हैं या पॉलिसी को बदल भी सकते हैं या किसी अन्य कंपनी में अपनी पॉलिसी को पोर्ट कर सकते हैं. इस तरह की सुविधाएं आप एक साल के बाद पॉलिसी को रिन्यू करते समय आसानी से कर सकते हैं. इसलिए सबसे जरूरी है कि अपनी हेल्थ पॉलिसी का रिव्यू अच्छे तरीके से करें. इस दौरान इन बातों पर जरूर ध्यान दें.
कवरेज पूरा और सही है कि नहीं
पॉलिसी लेने के बाद आप पूरी पॉलिसी की बारिकियों को ध्यान से पढ़ें या उसके संबंध में किसी एक्सपर्ट से विचार विमर्श भी कर सकते हैं. सबसे पहले जांच लें कि क्या यह पॉलिसी आने वाले समय में बढ़ते मेडिकल खर्च को पूरा करने के लिए काफी है या इसमें उन सभी बीमारियों का कवरेज किया गया है या नहीं.
को-पेमेंट तो नहीं लिया आपने
कम प्रीमियम देने के चक्कर में लोग को-पेमेंट के विकल्प वाली पॉलिसी ले लेते हैं. को-पेमेंट का अर्थ होता है कि जब इलाज पूरा हो जाता है तो उस पूरे खर्च को पूरा पैसा कंपनी नहीं देगी. इसमें से 20 से 40 प्रतिशत तक हिस्सा पॉलिसीधारक को देना होगा. मान लीजिए कि इलाज का खर्च चार लाख आया है तो पॉलिसी लेने वाले को कम से कम 80 हजार से लेकर 1.60 लाख तक खर्च खुद उठाना होता. मानसिक रूप से परेशान लोग के लिए उस समय यह एक बड़ा बोझ बन जाता है. इसलिए बिना को-पेमेंट वाली ही पॉलिसी चुनना लाभदायक होता है.
कैपिंग का रिव्यू जरूर करें
कई हेल्थ पॉलिसी में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए बीमा की राशि पहले से ही तय कर दी जाती है, इसे कैपिंग कहते हैं. जैसे मोतियाबिंद के इलाज के लिए बीस हजार, अस्पताल में इलाज के दौरान कमरे के किराये की कैपिंग इत्यादि. लेकिन वास्तव में जब आप इलाज कराते हैं तो तय की गयी राशि से अधिक खर्च हो जाता है. इसलिए हमेशा कैपिंग मुक्त पॉलिसी का ही चयन करना चाहिए यानी जिसमें किसी तरह का बंधन न हो.
ऑनलाइन पॉलिसी लेते समय भी रखें ध्यान
आज के डिजिटल युग में घर बैठे कंप्यूटर या मोबाइल द्वारा बड़ी आसानी से चीजें हासिल की जा रही हैं. एजेंट से छुटकारा पाने और सस्ते में उपलब्ध विकल्प ज्यादा आकर्षित करने लगे हैं. लेकिन यहां कुछ सावधानियां रखनी बहुत जरूरी है.
ऑनलाइन में आप ठगी के शिकार भी हो सकते हैं, आपको पॉलिसी की पूरी जानकारी नहीं मिल सकती है क्योंकि कंपनियां अपने मनपसंद की कंपनी की पॉलिसी को प्रोमोट करने के लिए उसे आकर्षक तरीके से पेश करती हैं.
तीन-चार कंपनियों के हेल्थ पॉलिसी का तुलनात्मक अध्ययन सही रूप में नहीं मिल पाता. और सबसे महत्वपूर्ण बात कि जब आप क्लेम सेटेलमेंट में जाते हैं तो आपकी तरफ से कंपनी का कोई प्रतिनिधि उपलब्ध नहीं रहता, जो आपकी बातों को सही तरीके से पेश कर सके.
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