नयी दिल्ली : भारत ऊर्जा उपयोग में बदलावों को अपने ढंग से करेगा और ऐसा करते हुए वह पूरी जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ेगा. आने वाले दशकों में वैश्विक ऊर्जा मांग में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को यह बात कही. पूरी दुनिया कार्बन उत्सर्जन बढ़ने से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को लेकर चिंतित है. इसे कम करने के लिए कई देश नवीकरणीय बिजली और इलेक्ट्रिक वाहन जैसे पर्यावरण अनुकूल विकल्पों पर जोर दे रहे हैं.
सेरावीक की ओर से आयोजित इंडिया एनर्जी फोरम में मंत्रीस्तरीय संवाद में प्रधान ने कहा कि अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है. हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत वैश्विक औसत का सिर्फ एक तिहाई ही है. इससे यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि सभी के लिए उचित मात्रा में ऊर्जा उपलब्धता सुनिश्चित हो. इससे तात्पर्य है कि सभी के लिए सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा तक पहुंच होनी चाहिए.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऊर्जा की भारी जरूरत और वृद्धि क्षमता को देखते हुए आगामी दशकों में भारत की वैश्विक ऊर्जा मांग में प्रमुख स्थिति होगी. उन्होंने कहा कि ऊर्जा की भारी मांग को पूरा करने के लिए भारत को विभिन्न ऊर्जा स्त्रोतों की जरूरत होगी. ये स्रोत वाणिज्यिक रूप से व्यवहारिक होने चाहिए. कोई भी एक स्त्रोत ऊर्जा की मांग को पूरा नहीं कर सकता है.
प्रधान ने कहा कि भारत ऊर्जा साधनों के उपयोग में बदलाव लाने के बारे में अपने हिसाब से आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि ऐसा करते हुए भारत पूरी जिम्मेदारी के साथ कदम बढ़ायेगा. इसका वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन क्षेत्र में भी प्रभाव होगा. उन्होंने कहा कि 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने की भारत की यात्रा में ऊर्जा क्षेत्र का अहम योगदान होगा.
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