रिलायंस जियो ने दूसरे नेटवर्क पर कॉल पहुंचाने के लिए लगने वाले चार्ज की समीक्षा पर जताया ऐतराज

नयी दिल्ली : रिलायंस जियो ने एक से दूसरे नेटवर्क पर कॉल पहुंचाने के अंतर-संयोजन उपयोगकर्ता शुल्क (आईयूसी) की समीक्षा के दूरसंचार नियामक ट्राई के प्रस्ताव को ‘प्रतिगामी’ बताया. हाल में अपने ग्राहकों से आईयूसी शुल्क की वसूली शुरू करने वाली जियो ने कहा कि इस संबंध में नियामक द्वारा जारी परिचर्चा पत्र न तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2019 8:33 PM

नयी दिल्ली : रिलायंस जियो ने एक से दूसरे नेटवर्क पर कॉल पहुंचाने के अंतर-संयोजन उपयोगकर्ता शुल्क (आईयूसी) की समीक्षा के दूरसंचार नियामक ट्राई के प्रस्ताव को ‘प्रतिगामी’ बताया. हाल में अपने ग्राहकों से आईयूसी शुल्क की वसूली शुरू करने वाली जियो ने कहा कि इस संबंध में नियामक द्वारा जारी परिचर्चा पत्र न तो स्वस्थ है और न ही इसकी जरूरत थी.

रिलायंस जियो ने इस बारे में ट्राई के परिचर्चा के खिलाफ एक पत्र में का कहना है कि इससे उपभोक्ताओं और यह कुशलता से काम करने वाली सेवाप्रदाता कंपनियों को इससे नुकसान होगा और इसका फायदा अकुशल कंपनियों को मिलेगा. भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नियमानुसार अभी दूरसंचार कंपनियों को अपने नेटवर्क से बाहर जाने वाली कॉल के दूसरे नेटवर्क पर जुड़ने के लिए एक शुल्क देना होता है. इसे इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क (आईयूसी) कहते हैं. वर्तमान में इसकी दर 6 पैसे प्रति मिनट है.

जियो ने आरोप लगाया कि अंतर-सेवाप्रदाता समाप्ति शुल्क के लिए सूर्यास्त नियम में किसी भी तरह के बदलाव का फायदा ऐसे चूक करने वालों को मिलेगा, जो नयी और प्रभावी प्रौद्योगिकी को अपनाने से जानबूझ कर दूर रहते हैं. जियो ने कहा है कि आईयूसी को आगे कुछ समय तक और जारी रखने के बारे में ट्राई का यह परिचर्चा पत्र ‘ऐसे दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को योजनागत तरीके से प्रोत्साहन और सब्सिडी देने’ जैसा है, जो इंटरनेट प्रोटोकॉल आधारित प्रौद्योगिकी पर नहीं जाना चाहते है.

जियो ने ट्राई के अधिकार क्षेत्र पर सवाल खड़े किये हैं. उसे आईयूसी को एक जनवरी, 2020 से शून्य पर लाने की पहले की योजना को और आगे बढ़ाने का कारण भी जानना चाहा है. जियो ने 10 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में कहा कि ट्राई का मौजूदा परिचर्चा पत्र एक ‘प्रतिगामी कदम’ है और ना तो यह गांरटी देता है और ना ही स्थायी है. जियो ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि यह परिचर्चा पत्र एक नियोजित प्रोत्साहन के तौर पर कार्य कर रहा है. यह स्पष्ट करता है कि आईयूसी दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के लिए एक कमाई का जरिया बन गया है.

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