भारत नवप्रवर्तन सूचकांक 2019 : रैंकिंग में कर्नाटक टॉप, बिहार-झारखंड सबसे निचले पायदान पर
नयी दिल्ली : नवप्रवर्तन के आधार की गयी राज्यों की रैंकिंग में कर्नाटक शीर्ष स्थान पर रहा है. उसके बाद क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र का स्थान है. नीति आयोग की इस रिपोर्ट में बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ सूची में सबसे नीचे हैं. भारत नवप्रवर्तन सूचकांक 2019 को वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक (जीआईआई) के अनुरूप ही तैयार […]
नयी दिल्ली : नवप्रवर्तन के आधार की गयी राज्यों की रैंकिंग में कर्नाटक शीर्ष स्थान पर रहा है. उसके बाद क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र का स्थान है. नीति आयोग की इस रिपोर्ट में बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ सूची में सबसे नीचे हैं. भारत नवप्रवर्तन सूचकांक 2019 को वैश्विक नवप्रवर्तन सूचकांक (जीआईआई) के अनुरूप ही तैयार किया गया है. इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की नयी खोज को लेकर माहौल पर गौर किया गया है. इससे नीति-निर्माताओं को हर क्षेत्र में नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने के लिए नीति तैयार करने में मदद मिलेगी.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने यह रिपोर्ट जारी की. निवेश आकर्षित करने के लिहाज से भी एक बार फिर कर्नाटक शीर्ष स्थान प्राप्त करने में सफल रहा. उसके बाद क्रमश: महाराष्ट्र, हरियाण, केरल, तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान और उत्तर प्रदेश का स्थान रहा. रिपोर्ट में नवप्रवर्तन के मामले में रैंकिंग तीन श्रेणियों (बड़े राज्य, पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों / शहर और छोटे राज्य) के अंतर्गत की गयी है.
पूर्वोत्तर राज्यों की श्रेणी में सिक्किम शीर्ष पर जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली ऊंचे पायदान पर है. नवप्रवर्तन सूचकांक में ऊपर जगह बनाने वाले अन्य राज्यों में तेलंगाना, हरियाणा, केरल, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और आंध्र प्रदेश शामिल हैं. रिपोर्ट में देश में नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने वाले विभिन्न कारकों का गहराई से विश्लेषण किया गया है. यह देश के सतत विकास के लिहाज से नीतिनिर्माताओं और उद्योगों को कुछ मुद्दों को चिह्नित करने में मदद करती है.
पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में लक्षद्वीप, दिल्ली और गोवा शीर्ष तीन में हैं. रिपोर्ट के अनुसार, एक देश के लिए प्रभावी रूप से नीति तैयार करने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर नवप्रवर्तन की स्थिति को समझने की जरूरत है. केवल राष्ट्रीय स्तर पर नीति पर्याप्त नहीं है. प्रत्येक राज्य को अपने अनूठे संसाधनों और विशेषताओं के आधार पर जरूरतों के अनुसार अपनी नीति तैयार करने की आवश्यकता है.
कुमार ने कहा कि नवप्रवर्तन हमेशा बदलाव और प्रगति का अगुआ रहा है, क्योंकि इससे पुरानी और कुंद पड़ चुकी गतिविधियां खत्म होती हैं. उन्होंने कहा कि देश का पहला नवप्रवर्तन सूचकांक देश भर में नयी खोज के लिए एक अनुकूल परिवेश तैयार करने में मदद करेगा. इस प्रकार के सूचकांक से नवप्रवर्तन माहौल के विकास के लिए राज्यों को अपनी रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी.
नीति आयोग के सीईओ कांत ने कहा कि नीति आयोग ने देश में राज्य स्तर पर नवप्रर्वतन को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की है. यह राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को दूसरे राज्यों की तुलना में अपने प्रदर्शन को मानकीकृत बनाने में उपयोगी साबित होगा. इसके आधार पर वे अलग-अलग प्रदर्शन के कारणों को समझ पायेंगे और नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर सकेंगे.
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