वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के भारत के निर्णय का समर्थन करते हुए शुक्रवार को कहा यह निवेश के अनुकूल है. हालांकि, उसने यह भी कहा कि भारत को राजकोषीय स्थित के समक्ष चुनौतियों का समाधान करना चाहिए, ताकि इस मोर्चे पर दीर्घकालिक मजबूती बनी रहे.
आईएमएफ के निदेशक (एशिया एवं प्रशांत विभाग) चांगयोंग री का मानना है कि राजकोषीय मोर्चे पर भारत की राह तंग है. इसलिए उन्हें सतर्कता से चलना चाहिए. हम कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के उनके निर्णय का स्वागत करते हैं, क्योंकि इसका निवेश पर सकारात्मक असर होगा.
उन्होंने कहा कि पिछली दो तिमाहियों की सुस्ती को देखते हुए इस वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है, जो बढ़कर 2020 में सात फीसदी हो जायेगी. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति में किये गये उपाय तथा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से निवेश में सुधार का अनुमान है. आईएमएफ की उप-निदेशक (एशिया और प्रशांत विभाग) एन्ने-मारी गुल्ड-वोल्फ ने कहा कि भारत को गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की दिक्कतों को दूर करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों में पूंजी डालने समेत कुछ सुधार हुए हैं, लेकिन गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की दिक्कतें आंशिक तौर पर बनी हुई हैं और नियामकीय एकरूपता उन मसलों में एक है, जिन्हें पा लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार इससे अवगत भी है. एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत के कर्ज का स्तर उच्च है और राजकोषीय मोर्चे पर सुधार प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि, एक संघीय व्यवस्था में राजकोषीय मोर्चे पर सुधार अधिक जटिल है. अलग राज्यों में राजकोषीय संरचना के मसले और चुनौतियां अलग होती हैं.
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