नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कुछ कर्मचारी यूनियनों की अपील पर मंगलवार को हुई एक दिन की हड़ताल से देश के कुछ हिस्सों में बैंकों के कुछ कामकाज पर असर देखा गया. कर्मचारी यूनियनों ने यह हड़ताल बैंकों के विलय और बचत खाते में ब्याज दर कम होने के विरोध में की है. देश के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, हड़ताल की वजह से बैंकों में काउंटर पर दी जाने वाली नकदी के लेन-देन जैसी सेवाएं प्रभावित हुईं. बैंक चेक क्लीयरेंस पर भी हड़ताल का असर देखा गया.
हालांकि, निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज सामान्य ढंग से हुआ. उनमें हड़ताल का असर नहीं दिखाई दिया. देश के कई हिस्सों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की शाखाएं बंद रहीं. इस हड़ताल में अधिकारी शामिल नहीं थे, इसके बावजूद कई शाखाओं में कामकाज नहीं हुआ. ऑल इंडिया बैंक एम्पलाईज एसोसियसेन (एआईबीईए) और बैंक एम्पलाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) ने इस हड़ताल का आह्वान किया था. ये यूनियनें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय और जमा की ब्याज दर कम होने का विरोध कर रहीं हैं.
सरकार ने इस साल अगस्त में सार्वजनिक क्षेत्र के दस बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की है. ऐसा विश्वस्तर के बड़े और मजबूत बैंक बनाने के मकसद से किया गया. एआईबीईए के महासिचव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि सरकार पहले ही सहयोगी बैंकों का भारतीय स्टेट बैंक में विलय कर चुकी है. इसके बाद देना बैंक और विजय बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय किया जा चुका है. इस पूरी प्रक्रिया में 3,000 बैंक शाखायें बंद हो चुकी हैं. अब यदि इन (10 बैंकों) का विलय भी होता है तो 2,000 और बैंक शाखाएं बंद हो सकतीं हैं.
यूनियनों का कहना है कि सरकार बड़े उद्योगपतियों के हितों के लिए बैंकों का विलय कर रही है. इन्हीं उद्योगपतियों ने बैंकों को लूटा है. इन्होंने बैंकों से कर्ज लेकर उसका भुगतान नहीं किया. पिछले महीने बैंकों के अधिकारियों की यूनियनों ने 26 और 27 सितंबर को अखिल भारतीय स्तर पर बैंक हड़ताल का आह्वान किया था, लेकिन सरकार के हस्तक्षेप के बाद यह हड़ताल वापस ले ली गयी थी.
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