पीएम मोदी ने कहा-हम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में ही नहीं, ईज ऑफ लिविंग में कर रहे सुधार

रियाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सऊदी अरब में आयोजित सालाना सालाना निवेश सम्मेलन ‘रेगिस्तान में दावोस’ में कहा कि हम ईज ऑफ डूइंग बिजनस में ही नहीं, बल्कि ईज ऑफ लिविंग में भी सुधार करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2019 9:40 PM

रियाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सऊदी अरब में आयोजित सालाना सालाना निवेश सम्मेलन ‘रेगिस्तान में दावोस’ में कहा कि हम ईज ऑफ डूइंग बिजनस में ही नहीं, बल्कि ईज ऑफ लिविंग में भी सुधार करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था और सैन्य रूप से भी सक्षम था, तब भारत ने किसी पर दबाव नहीं डाला. भारत की स्वतंत्रता को 2022 में 75 साल पूरे होंगे. हमने इस समय तक न्यू इंडिया बनाने का लक्ष्य रखा है. उस नये भारत में नया सामर्थ्य होगा.

पीएम मोदी ने कहा कि समर्थ और शक्तिमान भारत सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए उल्लास और शांति का स्रोत है. जब हम ताकतवर थे, तो किसी पर बल प्रयोग नहीं किया. भारत ने अपनी क्षमता और उपलब्धियों को बांटा है. हमने पूरी दुनिया को एक परिवार माना है. वसुधैव कटुंबकम. हमारा विकास विश्व में विश्वास पैदा करेगा. हम वसुधैव कुटुम्बकम में भरोसा रखते हैं और पूरी दुनिया को अपना परिवार मानते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी विचारधारा कोई भी हो सकती है, लेकिन आखिर में हम मानव कल्याण के लिए क्या कर सकते हैं, इस बारे में सोचना चाहिए.

पीएम मोदी ने कहा कि भारत पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप तंत्र, वेंचर पूंजीपति भारतीय स्टार्टअप कंपनियों में निवेश के लिए आमंत्रित हैं. एशिया में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 700 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत, भारत में यह क्षेत्र 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर से बढ़ेगा. आने वाले वर्षों में प्रशिक्षित श्रमबल की जरूरत को पूरा करने के लिये 40 करोड़ लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया जायेगा.

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों का विस्तार मानव संसाधन क्षेत्र में भी किया जाना चाहिए, इन्हें केवल माल-व्यापार तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए. भारत को अपनी तेजी बढ़ रही अर्थव्यवस्था के लिए ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिये 20 अरब डॉलर की बचत की गयी. आज विस्तारवाद का नहीं, बल्कि विकासवाद का महत्व बढ़ रहा है.

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