Airtel को उम्मीद : समायोजित सकल राजस्व पर संतुलित रुख अपनायेगी सरकार

नयी दिल्ली : दूरसंचार क्षेत्र के वित्तीय दबाव के हल के लिए सचिवों की समिति के गठन के एक दिन बाद बुधवार को भारती एयरटेल ने कहा कि इस क्षेत्र के लिए सभी पक्षों का आपस में मिलजुलकर एक ‘रचनात्मक व्यवस्था ‘ बनाना सबके हित में होगा. कंपनी ने कहा कि इस व्यवस्था के जरिये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2019 7:27 PM

नयी दिल्ली : दूरसंचार क्षेत्र के वित्तीय दबाव के हल के लिए सचिवों की समिति के गठन के एक दिन बाद बुधवार को भारती एयरटेल ने कहा कि इस क्षेत्र के लिए सभी पक्षों का आपस में मिलजुलकर एक ‘रचनात्मक व्यवस्था ‘ बनाना सबके हित में होगा. कंपनी ने कहा कि इस व्यवस्था के जरिये समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) समेत शुल्कों संबंधी सभी मुद्दों का ‘निष्पक्ष तरीके’ से हल सुनिश्चित किया जा सके.

सुनील मित्तल की अगुआई वाली कंपनी ने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटरों ने देश में दूरसंचार क्षेत्र के विकास पर अरबों डॉलर का निवेश किया है, जिससे ग्राहकों को विश्वस्तरीय सेवाएं मिल पा रही हैं. एयरटेल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसे समय आया है, जब दूरसंचार क्षेत्र गंभीर वित्तीय दबाव झेल रहा है. एयरटेल के वरिष्ठ नेतृत्व ने बुधवार को निवेशक कॉल के जरिये उम्मीद जतायी कि सरकार उद्योग की दीर्घावधि की व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए एजीआर पर ‘संतुलित रुख’ अपनायेगी.

भारती एयरटेल के मुख्य वित्त अधिकारी बादल बागड़ी ने निवेशक कॉल को संबोधित करते हुए कहा कि एक रचनात्मक तंत्र का गठन सभी पक्षों के हित में होगा. इससे बड़े शुल्कों के मामले का हल उचित तरीके से हो सकेगा. कंपनी ने मंगलवार को सितंबर में समाप्त तिमाही के लिए अपने परिचालन का ब्योरा जारी किया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता के मद्देनजर कंपनी ने दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा 14 नवंबर तक टाल दी है. बागड़ी ने कहा कि हम फैसले की विस्तृत समीक्षा कर रहे हैं. अभी हम इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह पायेंगे.

भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल और उनके भाई राजन मित्तल ने सोमवार को दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद और दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश से मुलाकात की थी. दूरसंचार विभाग की गणना के अनुसार, भारती एयरटेल को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क के साथ कुल 42,000 करोड़ रुपये चुकाने होंगे. वहीं, वोडाफोन-आइडिया को करीब 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है.

सूत्रों ने कहा कि दूरसंचार कंपनियां बकाया भुगतान पर ब्याज और जुर्माने की छूट के लिए दबाव बना रही हैं. इसके अलावा, कंपनियां चाहती हैं कि मूल लाइसेंस शुल्क का भुगतान 10 साल के दौरान किया जाए. इस बीच, सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज पर विचार को सचिवों की समिति का गठन किया है.

इस पैकेज में स्पेक्ट्रम शुल्क को कम करने के अलावा मुफ्त मोबाइल फोन कॉल और सस्ते डेटा को समाप्त करने पर भी विचार हो सकता है. कैबिनेट सचिव की अगुआई वाली समिति भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी दूरसंचार कंपनियों के समक्ष वित्तीय दबाव के तमाम पहलुओं पर विचार करेगी और इसके हल के उपाय सुझायेगी.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version