नयी दिल्ली : एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल की चौथी तिमाही में भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाओं में तेजी दिख सकती है. ये दोनों अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका और यूरोपीय संघ के रुझानों के उलट वृद्धि दर में तेजी की राह पर होंगी. लंदन से प्रकाशित साप्ताहिक आर्थिक पत्रिका ‘इकोनॉमिस्ट’ की इकोनोमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त करते हुए कहा गया है कि तीसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक वृद्धि कमजोर बने रहने का अनुमान है.
इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट की विज्ञप्ति में कहा गया है कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में जी7 और ब्रिक्स देशों में से केवल भारत और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्थाओं में ही दूसरी तिमाही के मुकाबले तीसरे तिमाही में वृद्धि में तेजी के परिणाम सामने आयेंगे. हालांकि, जहां तक ब्रिटेन की बात है, इसमें ज्यादा प्रसन्नता की बात नहीं है, क्योंकि उसमें सुधार संकटपूर्ण दूसरी तिमाही के बाद मामूली ही रहेगा.
विज्ञप्ति के अनुसार, तीसरी तिमाही के दौरान भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर दूसरी तिमाही की तुलना में एक फीसदी ऊपर और चौथी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर 2019) में यह 2.20 फीसदी ऊंची रह सकती है. कैलेंडर वर्ष के मुताबिक, अक्टूबर से दिसंबर, 2019 चौथी तिमाही होगी, जबकि भारत के वित्तीय वर्ष के अनुसार यह तीसरी तिमाही गिनी जायेगी.
रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा और अमेरिका तीसरी तिमाही के दौरान कनाडा और अमेरिका जी7 समूह की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थायें होंगी. इनकी वृद्धि 0.4 प्रतिशत के दायरे में होगी. वहीं, भारतीय और चीनी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका और यूरोपीय संघ के धीमी वृद्धि के रुझानों को दरकिनार करते हुए चौथी तिमाही में तेजी से आगे बढ़ेंगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका-चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध, घटता कार्यबल और ज्यादा खिंचाव में चल रहे बैंकिंग क्षेत्र की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में धीमी पड़कर 1.35 फीसदी पर आ गयी. यह सुस्ती तीसरी तिमाही में भी जारी रह सकती है, लेकिन चौथी तिमाही और अगले साल की पहली तिमाही में इसमें तेजी आयेगी और वास्तविक वृद्धि 1.6 से 1.8 फीसदी तक रहेगी. भारत की आर्थिक वृद्धि दर उसके वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में पांच फीसदी रही. दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर के आंकड़े नवंबर अंत में आयेंगे.
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