13 लाख भारतीयों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड का डेटा चोरी, ऑनलाइन बिक रही डीटेल
देश के लगभग 13 लाख से ज्यादा डेबिट और क्रेडिट कार्ड का डेटा लीक हो गया है. यह डेटा ऑनलाइन बेचा जा रहा है. सिंगापुर स्थित एक ग्रुप आईबी सुरक्षा अनुसंधान की टीम ने डार्क वेब पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के विवरण के एक बड़े डेटाबेस का पता लगाया है. अंदेशा है कि हैकिंग […]
देश के लगभग 13 लाख से ज्यादा डेबिट और क्रेडिट कार्ड का डेटा लीक हो गया है. यह डेटा ऑनलाइन बेचा जा रहा है.
सिंगापुर स्थित एक ग्रुप आईबी सुरक्षा अनुसंधान की टीम ने डार्क वेब पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के विवरण के एक बड़े डेटाबेस का पता लगाया है. अंदेशा है कि हैकिंग के अलावा डेटा एटीएम या पीओएस में स्कैनर से भी चुराये गए हैं.
इसमें 98% भारतीयों के हैंऔर 18% तो एक ही बैंक के हैं. इस बैंक के नाम का खुलासा नहीं हुआ है. हर कार्ड का डेटा 100 डॉलर (लगभग 7 हजार रुपये) में बेचा जा रहा है और कुल मिलाकर, इसकी कीमत 130 मिलियन डॉलर (लगभग 921.99 करोड़ रुपये) से अधिक है, जिससे यह अब तक की डार्क वेब पर बिक्री के लिए रखा जाने वाला सबसे कीमती वित्तीय जानकारी बन गई है.
इन कार्ड्स की डीटेल को ‘जोकर्स स्टैश’ नाम के डार्कनेट मार्केट प्लेस पर बेचा जा रहा है. INDIA-MIX-NEW-01 के रूप में डब किये गए डेटा दो भागों में उपलब्ध है – ट्रैक 1 और ट्रैक 2.
मालूम हो कि ट्रैक 1 डेटा में सिर्फ कार्ड नंबर होता है जबकि ट्रैक 2 डेटा में कार्ड के पीछ स्थित मैग्नेटिक स्ट्रिप की डीटेल होती है. इसमें ग्राहक की प्रोफाइल और लेनदेन की सारी जानकारी होती है.
साइबर एक्सपर्ट्स कहतेहैं कि साइबर सिक्योरिटी कल्चर को अपनाने में हम विफल रहे हैं. भारत के पेमेंट नेटवर्क असुरक्षित हैं. इसे दुरुस्त करनेकी जरूरत है. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (2013) कागजी घोड़ा भर है.
कड़े साइबर सुरक्षा कानून की जरूरत है. ऐसे में सलाह है कि ग्राहक लेनदेन करने वाले कार्ड में सीमित पैसा ही रखें. असुरक्षित वेबसाइटों पर लेनदेन से बचें.
जिस कार्ड से लेनदेन करते हैं, उस खाते में सीमित पैसा रखें. संदिग्ध निकासी दिखे तो तुरंत पुलिस व बैंक को लिखित सूचना दें. इससे नुकसान की जिम्मेदारी बैंक की ही होगी.
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