नयी दिल्ली : भारत की सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने से कतर एयरवेज ने भी इनकार कर दिया है. कतर एयरवेज ने कहा है कि उसकी एयर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं है. सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया के विनिवेश के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के वास्ते सिंगापुर और लंदन में रोडशो करने की योजना बनायी है.
कतर एयरवेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अकबर अल बाकेर ने गुरुवार को कहा कि वह इंडिगो में हिस्सेदारी खरीदने के इच्छुक हैं, लेकिन यह सही समय नहीं है, क्योंकि उनके प्रवर्तकों के बीच के मुद्दों को अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है. इंडिगो के प्रवर्तकों राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल के बीच जुलाई में मतभेद की खबरें आयी थीं, जब गंगवाल ने कंपनी में संचालन में गंभीर खामियों का आरोप लगाते हुए बाजार नियामक सेबी से हस्तक्षेप की मांग की थी.
केंद्र सरकार अगले महीने एयर इंडिया के लिए बोली मंगाने की योजना बना रही है. इस बीच, एयर इंडिया के कर्मचारी संघ ने विनिवेश प्रक्रिया का विरोध करने का फैसला किया है, क्योंकि वेतन का बकाया और पेंशन को लेकर स्पष्टता नहीं है. एयर इंडिया पर करीब 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. इंडिगो ने गुरुवार को कतर एयरवेज के साथ कोड शेयर समझौता किया है.
बाकेर से जब पूछा गया कि वह एयर इंडिया को खरीदने के इच्छुक हैं, तो उन्होंने कहा कि नहीं, हमारी दिलचस्पी सिर्फ इंडिगो में है. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है. हम इंडिगो में हिस्सेदारी खरीदने के इच्छुक हैं, लेकिन यह सही समय नहीं है, क्योंकि अभी भी प्रवर्तकों के बीच मुद्दों को हल नहीं किया जा सका है.
बाकेर ने कहा कि मुझे पता है कि एयरलाइन के हितधारकों के बीच कुछ असहमतियां हैं, इसलिए हम इंडिगो के साथ अपनी भविष्य की योजनाओं पर तब तक कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे, जब तक कि मुद्दे हम नहीं हो जाते हैं.
इंडिगो भारत की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी है. घरेलू यात्री बाजार में उसकी हिस्सेदारी करीब 48 फीसदी है. भाटिया, उनके रिश्तेदारों और परिवारिक कंपनी की इंडिगो में करीब 38 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि गंगवाल और उनके रिश्तेदारों और उनके परिवार न्यास की करीब 37 फीसदी हिस्सेदारी है.
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