एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिए आर्सेलरमित्तल का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT का आदेश किया रद्द

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एस्सार स्टील मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के चार जुलाई के आदेश को रद्द करते हुए कर्ज में डूबी इस कंपनी के अधिग्रहण के लिए वैश्विक इस्पात कंपनी समूह आर्सेलरमित्तल का रास्ता साफ कर दिया है. एनसीएलएटी ने वित्तीय कर्जदाताओं और परिचालन कर्जदाताओं को एक बराबर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2019 6:12 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एस्सार स्टील मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के चार जुलाई के आदेश को रद्द करते हुए कर्ज में डूबी इस कंपनी के अधिग्रहण के लिए वैश्विक इस्पात कंपनी समूह आर्सेलरमित्तल का रास्ता साफ कर दिया है. एनसीएलएटी ने वित्तीय कर्जदाताओं और परिचालन कर्जदाताओं को एक बराबर समझने का आदेश दिया था. आर्सेलरमित्तल ने दिवाला प्रक्रिया के तहत एस्सार स्टील के लिए 42,000 करोड़ रुपये की बोली लगायी है.

न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि दिवाला संहिता के तहत निपटान प्रक्रिया में वित्तीय कर्जदाताओं को परिचालन कर्जदाताओं के आगे प्राथमिकता दी गयी है और फैसला करने वाला अधिकारी कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) द्वारा स्वीकृत फैसले में हस्ताक्षेप नहीं कर सकते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि फैसला करने वाला प्राधिकरण समाधान योजना को दिशानिर्देशों के अनुरूप सीओसी के पास भेज सकता है, लेकिन कर्जदाताओं की समिति द्वारा लिए गए वाणिज्यिक फैसले में बदलाव नहीं कर सकता है.

पीठ ने समाधान खोजने के लिए दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता के तहत निर्धारित 330 दिन की समयसीमा में भी ढील दी है. पीठ ने कहा कि सीओसी को समाधान योजना में सभी हितधारकों के हितों को संतुलित करना चाहिए. शीर्ष अदालत ने 22 जुलाई को एस्सार दिवाला मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था. यह फैसला एनसीएलएटी के चार जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली कर्जदाताओं की समिति की याचिका पर आया है.

न्यायाधिकरण ने एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिए दिग्गज इस्पात कारोबारी लक्ष्मी मित्तल की अगुआई वाली आर्सेलरमित्तल की 42,000 करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी दी थी. हालांकि, एनसीएलएटी ने आर्सेलरमित्तल की बोली राशि के वितरण में कर्जदाताओं और परिचालन कर्जदाताओं को बराबर का दर्जा दिया था. दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता के तहत नीलाम की गयी एस्सार स्टील पर वित्तीय कर्जदाताओं और परिचालन कर्जदाताओं का 54,547 करोड़ रुपये का बकाया है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version