Mobile सेवाओं की दरें घटाने की सीमा पर TRAI ने कहा, DoT ने नहीं मांगी है कोई राय

नयी दिल्ली : दूरसंचार विभाग ने मोबाइल फोन सेवाओं के शुल्कों की न्यूनतम दर की कोई सीमा तय करने के विषय बारे में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से कोई राय-मशविरा नहीं मांगा गया है. ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने शुक्रवार को यह जानकरी दी. शर्मा ने यह पूछे जाने पर कि क्या दूरसंचार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2019 7:08 PM

नयी दिल्ली : दूरसंचार विभाग ने मोबाइल फोन सेवाओं के शुल्कों की न्यूनतम दर की कोई सीमा तय करने के विषय बारे में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से कोई राय-मशविरा नहीं मांगा गया है. ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने शुक्रवार को यह जानकरी दी. शर्मा ने यह पूछे जाने पर कि क्या दूरसंचार विभाग ने शुल्क कम करने की कोई सीमा या मोबाइल सेवाओं का न्यूनतम शुल्क तय करने के लिए संपर्क किया है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हमें इस तरह की कोई चीज नहीं मिली है.

सरकार ने पिछले महीने दूरसंचार क्षेत्र को राहत पैकेज के लिए सचिवों की समिति (सीओसी) गठित की थी. उस समय आधिकारिक सूत्रों ने कहा था कि समानांतर रूप से ट्राई वॉयस और डेटा सेवाओं के लिए न्यूनतम शुल्क की समीक्षा करेगा और क्षेत्र की दीर्घावधि की व्यवहार्यता और वित्तीय सेहत सुनिश्चित करेगा. वास्तव में यह पहली बार नहीं है, जब दूरसंचार उद्योग में न्यूनतम शुल्क सीमा की चर्चा हो रही है.

2017 में भी कुछ दूरसंचार ऑपरेटरों ने वॉयस और डेटा सेवाओं के लिए शुल्क की न्यूनतम सीमा तय करने का सुझाव दिया था. उस समय ट्राई ने इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा था कि उद्योग के बीच विचार-विमर्श के बाद यह राय बनी है कि यह ‘कार्ययोग्य विचार’ नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के सांविधिक बकाया पर हालिया आदेश के बाद देश की दो प्रमुख दूरसंचार कंपनियों वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल को सितंबर में समाप्त चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सामूहिक रूप से 74,000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम नुकसान हुआ है.

दूरसंचार विभाग के ताजा अनुमान के अनुसार, भारती एयरटेल पर करीब 62,187 करोड़ रुपये की देनदारी बनेगी. इसमें टाटा ग्रुप ऑफ कंपनीज तथा टेलीनॉर का हिस्सा भी शामिल है. वहीं, वोडफोन-आइडिया को करीब 54,184 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रभावित दूरसंचार कंपनियों को यह राशि चुकाने के लिए तीन महीने का समय दिया है. इससे पहले, इसी सप्ताह सरकार ने दूरसंचार ऑपरेटरों को इसके भुगतान के लिए नोटिस भेजना शुरू कर दिया है.

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