धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, सरकारी कंपनियों को अधिक पेशेवर बनाने के लिए लिया गया हिस्सेदारी बेचने का फैसला
नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को देश के लोगों के प्रति अधिक जवाबदेह होने की जरूरत है और सरकार ने इन उपक्रमों को अधिक पेशेवर बनाने के लिए हिस्सेदारी बेचने का निर्णय किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन उपक्रमों में अपनी पूरी हिस्सेदारी […]
नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को देश के लोगों के प्रति अधिक जवाबदेह होने की जरूरत है और सरकार ने इन उपक्रमों को अधिक पेशेवर बनाने के लिए हिस्सेदारी बेचने का निर्णय किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन उपक्रमों में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय किया. साथ ही, चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे लाने का फैसला किया. विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी बीपीसीएल और पोत परिवहन कंपनी शिपिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण के खिलाफ संसद में विरोध प्रदर्शन किया.
अंतरराष्ट्रीय आईएसए इस्पात सम्मेलन में इस्पात मंत्री प्रधान ने कहा कि हमें जवाबदेह होने की जरूरत है. इसीलिए हमने यह निर्णय किया. प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में यह निर्णय किया. हम हिस्सेदारी घटाने जा रहे हैं, जिसका मतलब है कि वे और पेशवर तरीके से काम करें. मुझे भरोसा है कि आप (सार्वजनिक उपक्रम) इसे बढ़ावा देंगे. उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों सेल और आरआईएनएल को अधिक प्रतिस्पर्धी होने को कहा.
प्रधान ने कहा कि अगर निजी क्षेत्र की कंपनियां अपने प्रतिस्पर्धियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करते हुए उसी बाजार स्थिति में इस्पात का उत्पादन कर सकती हैं, तो सेल और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) क्यों नहीं कर सकती? उन्हें भी यही करना होगा. मंत्री ने कहा कि किसी उपक्रम का मालिकाना हक न तो उनके और न ही सेल प्रबंधन के पास है, बल्कि आम जनता इनकी मालिक है. इसलिए सरकार की लोगों के प्रति ज्यादा जवाबदेही है.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे प्रधान ने कहा कि चूंकि ये सरकारी कंपनियां हैं, इसलिए हमारी जवाबदेही लोगों के प्रति है. इस्पात बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी सेल को जुलाई-सितंबर तिमाही में 342.84 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. मंत्री ने इस्पात उद्योग से ‘हरित इस्पात मिशन’ की दिशा में काम करने को कहा. उद्योग को पर्यावरण अनुकूल प्रसंस्करणों के लिए प्रौद्योगिकी, नवप्रवर्तन का उपयोग करना चाहिए.
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