मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने संकट में फंसी आवास ऋण कंपनी डीएचएफएल के मामले को औपचारिक रूप से दिवाला कार्रवाई के लिए भेजने से पहले शुक्रवार को तीन सदस्यीय एक समिति का गठन किया है. यह समिति डीएचएफएल के प्रशासक को कंपनी पर प्रणाली वित्तीय प्रणाली के कुल 84,000 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली पर सलाह देगी. केंद्रीय बैंक ने कंपनी के निदेशक मंडल को भंग करने के बाद यह कदम उठाया है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के गैर-कार्यकारी चेयरमैन राजीव लाल, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी एनएस कन्नन और एसोसिएशंस ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के मुख्य कार्यकारी एनएस वेंकटेश को समिति में शामिल किया गया है.
रिजर्व बैंक ने बुधवार को कानून में हालिया बदलावों का इस्तेमाल करते हुए डीएचएफएल के बोर्ड को भंग करते हुए कंपनी के मामले का निपटान दिवाला संहिता के प्रावधानों के तहत करने की घोषणा की थी. साथ ही, इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के पूर्व प्रबंध निदेशक आर सुब्रमण्य कुमार को प्रशासक नियुक्त किया था. केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि सलाहकार समिति सुब्रमण्य कुमार की मदद करेगी.
बयान में कहा गया है कि समिति प्रशासक को अपने कर्तव्य के निर्वहन में सहयोग करेगी. दिवाला एवं ऋणशोधन (दिवाला एवं वित्तीय सेवाप्रदाताओं की परिसमापन प्रक्रिया और न्यायिक प्राधिकरण को आवेदन) नियम, 2016 इस तरह की समिति की नियुक्ति की अनुमति देते हैं. शहर मुख्यालय वाली आवास ऋण कंपनी दिवाला प्रक्रिया के तहत जाने वाली पहले एनबीएफसी-एचएफसी है.
सरकार ने पिछले शुक्रवार को आईबीसी की धारा 227 को अधिसूचित किया था. इसके तहत रिजर्व बैंक के पास बैंकों को छोड़कर कम से कम 500 करोड़ रुपये की संपत्तियों वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) का मामला दिवाला अदालत के पास भेजे का अधिकार होगा.
जुलाई, 2019 तक डीएचएफएल पर बैंकों, राष्ट्रीय आवास बोर्ड, म्यूचुअल फंडों और बॉन्डधारकों का 83,873 करोड़ रुपये का बकाया था. इसमें से 74,054 करोड़ रुपये गारंटी वाला और 9,818 करोड़ रुपये बिना गारंटी वाला कर्ज था. ज्यादातर बैंकों ने तीसरी तिमाही में डीएचएफएल के खाते को या तो एनपीए घोषित कर दिया है या वे ऐसा करने जा रहे हैं.
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