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अपने निवेश पर ऐसे करें कर प्रबंधन

नीरज कुमार सिन्हा, निवेश सलाहकार, पटना आयकर एक जटिल विषय है. हम सभी को इससे हर वर्ष रूबरू होना पड़ता है. आज इस बात पर चर्चा होगी कि आपके निवेश पर किस तरह से टैक्स लगता है, जिसका प्रबंधन आप अपने निवेश के द्वारा कर सकते हैं तथा आयकर विभाग के अधिनियमों का उपयोग करते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2019 5:36 AM

नीरज कुमार सिन्हा, निवेश सलाहकार, पटना

आयकर एक जटिल विषय है. हम सभी को इससे हर वर्ष रूबरू होना पड़ता है. आज इस बात पर चर्चा होगी कि आपके निवेश पर किस तरह से टैक्स लगता है, जिसका प्रबंधन आप अपने निवेश के द्वारा कर सकते हैं तथा आयकर विभाग के अधिनियमों का उपयोग करते हुए छूट पा सकते हैं. इसके लिए आपके पास क्या-क्या विकल्प या साधन हैं. आप अभी से इसकी तैयारी करें, ताकि समय रहते छूट के प्रावधानों का लाभ ले सके.

आइए, सबसे पहले जान लेते हैं निवेश और निवेश पर होनेवाले आय, लाभ या हानि से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण शब्दावली, जिनका उपयोग आर्थिक जगत में होता है. इससे आपको उनसे जुड़ी चीजों को जानने में मदद मिलेगी.

विभिन्न प्रकार के निवेशों में से म्यूचुअल फंड और स्टॉक में किया गया निवेश कैपिटल एसेट होते हैं और इनकी खरीद और बिक्री से लाभ को पूंजीगत लाभ या कैपिटल गेन कहा जाता है. यदि इस प्रक्रिया में आपको आर्थिक नुकसान होता है, तो ये पूंजीगत नुकसान या कैपिटल लॉस कहलाते हैं. पूंजीगत लाभ या हानि तभी होती है जब आप वास्तव में निवेश बेचते हैं.

फंड्स या शेयरों द्वारा भुगतान किये गये लाभांश को लाभांश आय या डेविडेंट इनकम कहा जाता है, जबकि बैंक, डाकघर या ऐसी अन्य जमाओं से अर्जित ब्याज की रकम को ब्याज आय (इंटरेस्ट इनकम) कहा जाता है.

म्यूचुअल फंड पर कैपिटल गेन टैक्स

तीन साल से अधिक समय तक निवेशित गैर-इक्विटी फंडों को लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट के रूप में माना जाता है. इस पर होने वाले लाभ पर 20 प्रतिशत दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. तीन साल तक रखे गये नॉन-इक्विटी फंड्स में निवेश पर होने वाले लाभ को आय में जोड़ा जाता है और लागू स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाता है.

वहीं, एक साल से अधिक समय तक इक्विटी फंड को रखने पर वह लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट के रूप में माना जाता है और उसपर होने वाले लाभ पर बिना इंडेक्सेशन के 10 फीसदी टैक्स लगता है. दूसरी ओर इक्विटी फंड्स से होनेवाले शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15 फीसदी टैक्स लगता है.

म्यूचुअल फंड और शेयर पर लगने वाले कैपिटल गेन टैक्स

निवेश का प्रकार शॉर्ट टर्म टैक्स लॉन्ग टर्म टैक्स की गणना

शेयर, भारतीय इक्विटी फंड और इक्विटी से जुड़े हुए हाइब्रिड फंड एक साल तक की अवधि के लिए 15 प्रतिशत टैक्स लाभ एक लाख से अधिक होने पर 10 प्रतिशत टैक्स

अन्य सभी तरह के फंड (एफडी, सोना और अंतरराष्ट्रीय फंड) तीन साल तक की अवधि के लिए होने वाले लाभ को आय में जोड़ दिया जाता है तीन साल से अधिक समय तक निवेश पर होने वाले लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के रूप में माना जाता है, इस पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है

म्यूचुअल फंड और शेयर से होने वाली लाभांश आय (डेविडेंट इनकम)

निवेश का प्रकार डेविडेंट डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स

शेयर, भारतीय इक्विटी फंड और इक्विटी से जुड़े हुए हाइब्रिड फंड 11.65%

अन्य सभी तरह के फंड 29.12%

आयकर अधिनियम की धारा 80सी है सबसे बेहतर विकल्प

प्रत्येक वित्तीय वर्ष में धारा 80सी 1.5 लाख रुपये तक निवेश का अवसर देता है, जिस पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता. अगर आप 30 फीसदी के सबसे ज्यादा टैक्स ब्रैकेट में हैं, तो इस सेक्शन के तहत 1.5 लाख रुपये के निवेश से आपको हर साल 46,800 रुपये की बचत होगी. धारा 80सी लाभों के लिए अर्हता प्राप्त करने वाले विभिन्न वित्तीय उत्पाद इस प्रकार हैं:

जीवन बीमा प्रीमियम भुगतान : जीवन बीमा की पॉलिसी के तहत पूरे साल आप जो भी प्रीमियम का भुगतान करते है, उसे कुल कर योग्य आय से घटा दिया जाता है. प्रीमियम की रकम कुल बीमा राशि की 20 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

होम लोन प्रिंसिपल की अदायगी : अगर आपने होम लोन लिया है, तो उसके भुगतान पर कर छूट की सुविधा है. 80सी के तहत होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट के रूप में जमा की गयी राशि के रूप में जमा की गयी राशि को कटौती का लाभ मिलता है. घर की खरीद में लगे स्टैंप ड्यूटी और पंजीयन शुल्क भी इसमें शामिल है.

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) : वेतनभोगी लोगों के वेतन में से एक हिस्सा उनके इपीएफ खाते में जाता है. इस अनिवार्य निवेश की राशि पर भी कर में छूट मिलता है.

दो बच्चों के लिए ट्यूशन फीस : आपको अपने दो बच्चों की पढ़ाई के खर्च पर कर छूट का लाभ भी मिलता है. यह खर्च स्कूल में फीस के रूप में किया गया हो. प्राइवेट ट्यूशन या कोचिंग आदि की फीस, किताबों के खर्च, डोनेशन, कैपटेशन फीस, एडमिशन फीस, वार्षिक शुल्क, डेवलपमेंट चार्ज आदि इसमें शामिल नहीं होते हैं.

सार्वजनिक भविष्य निधि में योगदान (पीपीएफ) : अगर किसी ने बैंक या पोस्ट ऑफिस में एक अलग से पीपीएफ का खाता खोल रखा है, तो उसमें निवेश की गयी राशि पर मिलने वाला ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता.

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में निवेश : 60 साल या उससे अधिक उम्र के नागरिकों के लिए पांच साल की स्कीम में किया गये निवेश से भी कर में छूट पा सकते हैं. इसमें अधिकतम 15 लाख तक निवेश की सुविधा मिलती है.

इसके अलावा भी कई विकल्प हैं, जिनमें निवेश करते हुए छूट प्राप्त कर सकते हैं :

बैंक टर्म डिपॉजिट स्कीम, 2006 के तहत न्यूनतम पांच साल की अवधि के साथ अनुसूचित बैंकों में अधिसूचित अवधि जमा में बचत पर छूट.

5 साल के लॉक-इन के साथ पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट में बचत पर छूट.

एनएससी के माध्यम से किये गये निवेश पर छूट.

इक्विटी लिंक्ड म्यूचुअल फंड (इएलएसएस) में निवेश

पेंशन योजनाओं में निवेश

कैपिटल गेन गणना एक उदाहरण से समझें

यदि आपने 2002-03 में 10 लाख का निवेश नॉन-इक्विटी फंड में किया है, और 2018-19 में इसे 50 लाख रुपये में बेच दिया. तो आपका कैपिटल गेन टैक्स की गणना के लिए मुद्रास्फीति समायोजन कारक यानी 280 (चार्ट के अनुसार) को 105 (चार्ट के अनुसार) से विभाजित किया जायेगा, जो 2.67 आयेगा. इस विधि से, निवेश की आपकी लागत को वास्तव में 2.67 गुना अधिक यानी 26.7 लाख होगा. और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 23.3 लाख रुपये होगा.

गणना के लिए मुद्रास्फीति के इंडेक्स

वित्तीय वर्षइंडेक्स

2001-02100

2002-03105

2003-04109

2004-05113

2005-06117

2006-07122

वित्तीय वर्षइंडेक्स

2007-08129

2008-09137

2009-10148

2010-11167

2011-12184

2012-13200

वित्तीय वर्षइंडेक्स

2013-14220

2014-15240

2015-16254

2016-17264

2017-18272

2018-19280

ब्याज से आय

ब्याज से होनेवाली आय को आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और आयकर अधिनियम के तहत जो भी कर ब्रैकेट में आपकी आय होती है उसी के अनुसार कर लगता है. फिक्स्ड डिपॉजिट, आवर्ती जमा, बॉन्ड आदि जैसे निवेश साधनों पर अर्जित ब्याज आय करों के अधीन हैं.

आपको अपने आयकर रिटर्न में ब्याज आय के विवरण का भी खुलासा करना होता है. हालांकि, आप आयकर अधिनियम, 1961 के तहत उपलब्ध कई कर लाभों का लाभ उठाकर अपनी कर क्षमता को कम कर सकते हैं. हालांकि करों को बचाने के लिए, आपको यह जानने की आवश्यकता है कि ब्याज आय पर कैसे कर लगाया जाता है.

स्रोत : आयकर एक्ट, 1961

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