नयी दिल्ली : कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति दे रही सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को महत्वपूर्ण प्रबंधिकीय पदों के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की कमी सताने लगी है और उसने इसके लिए दूरसंचार विभाग से प्रतिनियुक्ति पर पर्याप्त संख्या में भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी मांगे है, लेकिन प्रतिनियुक्ति पर आये तमाम आईटीएस अधिकारी विभाग में वापस जाना चाहते हैं.
बीएसएनएल ने विभाग को लिखा है कि प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे कुछ आईटीएस अधिकारियों को वापस लेने या उनकी अन्यत्र प्रतिनियुक्ति किये जाने से कंपनी में एक प्रकार की अनुशासनहीनता पनप रही है, लेकिन आईटीएस एसोसिएशन का कहना है कि कंपनी में आये उनके कैडर के अधिकारी वेतन में विलंब तथा भेदभाव के चलते कंपनी से विभाग में वापस लौटना चाहते हैं.
बीएसएनएल के मानव संसाधन निदेशक अरविंद वाडनेकर ने वीआरएस योजना की घोषणा किये जाने के बाद चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पीके पुरवार की ओर से विभाग को लिखा है कि उन्हें विभाग से 200 और आईटीएस अधिकारी दिये जायें. बीएसएनएल में प्रतिनियुक्ति पर आये ऐसे 550 अधिकारी कार्यरत है. वाडनेकर ने लिखा है कि कंपनी ‘इस समय संकट की स्थिति में है. ऐसे में महत्वपूर्ण प्रबंधकीय पदों पर लोगों का बने रहना बहुत जरूरी है, ताकि कंपनी अपने ग्राहकों की सेवाएं बिना रुकावट जारी रख सके. कंपनी का हित इसी में है.
उन्होंने कहा है कि इस समय 32 आईटीएस अधिकारी बीएसएनएल से कार्यमुक्त होने के आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं. उन्हें विभाग ने या तो वापस लेने या कहीं और भेजने के आदेश जारी कर रखे हैं. उन्होंने लिखा है कि बीएसएनएल के सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना इस तरह की चीजों से अधिकारियों के कुछ वर्गों में अनुशासनहीनता पनप रही है. आईटीएस एसोसिएशन का तर्क कुछ और है. उनके कैडर के लोग कंपनी में भेदभाव और वेतन विलंब जैसे कारणों से हतोत्साहित हो रहे हैं और वे वापस जाना चाहते हैं.
उनके प्रतिनिधियों का कहना है कि बीएसएनएल ने अपने 803 वरिष्ठ अधिकारियों को वीआरएस का प्रस्ताव दिया. उनमें से 458 ने उसे स्वीकार कर लिया. अधिकारियों की कमी की यही खास वजह है. आईटीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष पीके जैन ने कहा कि बीएसएनएल को जब बड़े पदों पर ‘क’ सवर्ग के अधिकारियों की जरूरत थी, तो उसे इस तरह का वीआरएस नहीं पेश करना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि आईटीएस अधिकारियों की मांग करने की बजाय बीएसएनएल को बाकी 500 आईटीएस को लौटा देना चाहिए. इससे उसे 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत होगी. सरकार ने घाटे में चल रही बीएसएनएल और एमटीएनएल के पुनर्गठन और पुनरुद्धार के लिए अक्टूबर में 68,751 करोड़ रुपये की पैकेज योजना की घोषणा की थी. इसमें कर्मचारियों को घटाने के लिए वीआरएस योजना, 4जी रेडियो स्पेक्ट्रम का आवंटन और दोनों के विलय की योजना है.
बीएसएनएल में इस समय 1.5 लाख कर्मचारी हैं. वीआरएस योजना के तहत प्रभावी तिथि 31 जनवरी, 2030 रखी गयी है. दोनों कंपनियों के 92,000 से अधिक कर्मचारी वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं. बीएसएनएल का अनुमान है कि यदि 70-80 हजार कर्मचारियों ने वीआरएस लिया, तो उसका वेतन पर सालाना खर्च करीब 7,000 करोड़ रुपये आने की उम्मीद है.
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