धरी रह गयी लोगों की उम्मीदें, ब्याज दर में बदलाव नहीं

नयी दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा आज जारी कर दी गयी. इस समीक्षा में ब्याज दर में किसी प्रकार की कटौती नहीं की गयी. ब्याज दर में किसी प्रकार की रियायत ना मिलने के कारण लोगों को इएमआई में भी कोई राहत नहीं मिली. कर्ज पर घर और प्रोपटी लेने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2014 1:11 PM

नयी दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा आज जारी कर दी गयी. इस समीक्षा में ब्याज दर में किसी प्रकार की कटौती नहीं की गयी. ब्याज दर में किसी प्रकार की रियायत ना मिलने के कारण लोगों को इएमआई में भी कोई राहत नहीं मिली. कर्ज पर घर और प्रोपटी लेने वालो की उम्मीदें धरी की धरी रह गयी.

मोदी सरकार से थी राहत की उम्मीद
लोकसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित जीत इस बात को सबूत है कि लोगों को मोदी सरकार से ढेरों उम्मीदें थी. मोदी ने भी अपनी चुनावी रैली में महंगाई पर काबू पाने के कई वादे किये. बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के कई तरीके रैली में जनता के सामने रखे थे. इन चुनावी वादों में जनता को अपने सिर से कर्ज का बोझ आसानी से चुकाने के संकेत दिखने लगे थे. जून में हुई पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को आठ फीसदी पर बरकरार रखा था. लोगों को इस बार उम्मीद थी कि उन्हें राहत मिलेगी. आपको बता दें, रेपो दर वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को छोटी अवधि का ऋण देता है.

लेकिन आरबीआई के ताजा घोषणा से लोगों की उम्मीदें खत्म हो गयी. लेकिन इस टूटी उम्मीद के बीच भी आरबीआई प्रमुख रघुराम राजन जीडीपी में बढ़ोतरी की उम्मीद जगा गये उन्होंने कहा अगर बढोत्तरी कायम रही तो वित्त वर्ष 2015 में 5.5 फीसदी की जीडीपी हासिल कर सकेंगे. ग्रोथ में सुधार के चलते एसएलआर में कटौती उचित है. दरअसल क्रेडिट मांग ज्यादा नहीं होने पर ही एसएलआर में कटौती का सही समय होता है. एसएलआर में कटौती से बैंक प्राइवेट सेक्टर को और ज्यादा कर्ज दे सकेंगे. बैंक प्रोडक्टिव सेक्टरों को और कर्ज दे पाएंगे.

वित्तमंत्री और आरबीआई गर्वनर की मुलाकात

वित्तमंत्री अरुण जेटली और आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन के बीच हुई मुलाकात के बाद ही यह अंदाजा लगा लिया गया था कि ब्याज दरों मे किसी तरह का बदलाव नहीं किया जायेगा. बैठक के बाद राजन ने स्पष्ट किया था कि दोनों की मुलाकात आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के लिए हुई. उम्मीद थी कि सरकार आरबीआई गर्वनर को राहत का कदम उठाने के संकेत देगी.

क्यों नहीं हुआ बदलाव

ब्याज दर में कोई बदलाव ना होने का सबसे बड़ा कारण बढ़ती महंगाई और मानसून की कमजोरी है आरबीआई जीडीपी का लक्ष्य निर्धारित कर रही है. अगर बढ़ती महंगाई और मानसून की हालत इसी तरह बनी रही, तो आरबीआई के लिए अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचना काफी मुश्किल हो जायेगा. टमाटर, आलू और प्याज जैसी खाद्य वस्तुओं के दाम अब भी सामान्य से ऊपर हैं. मानसून की बारिश सामान्य से कमजोर होने से आशंका है, इससे कीमतें खासकर खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है. जुलाई के आखिर तक मानसून बारिश सामान्य से 23 प्रतिशत कम रही है. संकट की इस घड़ी में आरबीआई ब्याज दर में राहत देकर अपने लिए नयी परेशानिया खड़ी नहीं करना चाहता.

समीक्षा की मुख्य बातें

अल्पकालिक ऋण (रेपो) दर 8 प्रतिशत पर पूर्ववत नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) 4 प्रतिशत पर, कोई बदलाव नहीं

– बैंकिंग तंत्र में उपलब्धता बढाने के लिए सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 0.50 प्रतिशत घटाकर 22 प्रतिशत किया

– चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान

– उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2015 तक 8 प्रतिशत और जनवरी 2016 तक 6 प्रतिशत रखने का लक्ष्य

– परिपक्वता तक रखी जाने वाली श्रेणी में बैंकों के लिए सांविधिक तरलता अनुपात 0.5 प्रतिशत घटाकर 24 प्रतिशत किया

– सरकारी नीतियों से घरेलू मांग, आपूर्ति स्थिति में सुधार होगा

– तेल की उंची कीमत और प्रशासनिक मूल्य बढाकर वृद्धि का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने से मुद्रास्फीति बढने का जोखिम.

– मानसून अभी भी चिंता का विषय, मुद्रास्फीति बढने का जोखिम

– खाद्य प्रबंधन और परियोजना क्रियान्वयन पर सरकारी पहल से आपूर्ति सुधरेगी

– बैंकिंग क्षेत्र में सुधार प्रक्रिया जारी रहेगी

– मौद्रिक नीति की अगली द्वैमासिक समीक्षा 30 सितंबर को होगी.

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