मुंबई: रिजर्व बैंक ने सिंडिकेट बैंक के बही-खातों की जांच शुरू कर दी है. बैंक की ओर से मंगलवार को कहा गया कि जांच शुरू कर दी गयी है कोर्इ गडबडी पाये जाने पर पूर्व सीएमडी एसके जैन से पूछताछ की जायेगी. बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एस के जैन को पिछले दिनों कथित तौर पर 50 लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है.
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने स्वीकार किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में संचालन से जुडी समस्यायें हैं. उन्होंने बैंकों में ऋण मंजूरी में पारदर्शिता बढाने की जरुरत को रेखांकित किया. राजन ने मौद्रिक नीति की तीसरी द्वैमासिक समीक्षा पेश करते हुए कहा ‘सिंडिकेट बैंक की जांच चल रही है लेकिन मेरा मानना है कि आगे इसके असर को सोचे समझे बिना इस मामले को पूरी बैंकिंग प्रणाली से जोडते हुये बेहद सावधान रहने की आवश्यकता है. इससे (सिंडिकेट बैंक के घटनाक्रम) से निश्चित तौर पर एक मुश्किल मुद्दा उठा है.’
सीबीआई ने सिंडिकेट बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एस के जैन को कथित तौर पर कुछ कंपनियों की ऋण सीमा बढाने के एवज में 50 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है. उन्होंने कहा ‘किसी भी प्रवर्तन एजेंसी के लिए महत्वपूर्ण है कि पूरी जांच की जाए. मेरा मानना है कि वे ऐसा कर रहे हैं. बैंकिंग प्रणाली में समस्याओं की वजह आपराधिक मानसिकता है, न कि अन्य वजह इसके लिये जिम्मेदार है.’
उन्होंने कहा ‘मेरा मानना है कि संतुलन बनाए रखना चाहिए और हमें सावधान भी रहना चाहिए. हम पूरी जांच करते हैं और दोषी को दंड दिया जाता है. इसमें संदेह के आधार पर काम नहीं किया जा सकता ऐसा करने से पूरी ऋण प्रक्रिया ही बाधित हो जाएगी.’
सार्वजनिक बैंकों की प्रणाली में कई कमियां: राजन
राजन ने सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली में कमियों को दूर करने पर बल दिया. उन्होंने कहा ह्यह्यहमें सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों में संचालन पर फिर से ध्यान देने, वहां खामियां दूर करने और इसमें सुधार की जरुरत है.’ राजन ने स्वीकार किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बेहद योग्य और प्रतिष्ठित लोग काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा ‘उन सबको एक ही रंग में नहीं रंग देना चाहिए.’
ऋण पर ब्याज दर के मामले में पारदर्शिता बढाने के बारे में पूछने पर राजन ने कहा ‘बैंकिंग की पूरी प्रक्रिया ही जोखिम उठाने और जोखिम उठाने में विशेषाधिकार के इस्तेमाल की है. आप में से कुछ पर ज्यादा भरोसा होगा. इसमें प्रक्रिया है जो काम करती है. इसलिए बाहरी व्यक्ति या संस्थान द्वारा यह कहना कि यह कीमत होनी चाहिये जिसे आप वसूलेंगे तो बैंकर की भूमिका ही नहीं रह जायेगी.’
उन्होंने कहा ‘मेरा मानना है कि कुछ बडे ऋण के संबंध में बैंक अधिकारी के फैसले को दरकिनार करना असंभव है. यदि बैंक अधिकारी का फैसला होता है तो आपको सावधान रहना होता है कि कौन सा फैसला ईमानदार बैंक अधिकारी का है कौन सा नहीं. काफी हद तक यह काम काफी मुश्किल है.’ उन्होंने कहा कि इसलिए कुछ खास लक्षणों को ध्यान में रखते हुये सभी ऋणों को एक जैसा मानना बेहद मुश्किल है.