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कुवैत को पछाड़ भारत को क्रूड ऑयल सप्लाई करने वाले देशों में छठे नंबर पर पहुंचा अमेरिका

नयी दिल्ली : भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाले दुनिया के देशों में अब अमेरिका बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है और इस मामले में वह कुवैत को पीछे छोड़ते हुए छठे नंबर पर पहुंच गया है. भारत को तेल आपूर्ति करने के मामले में इस समय इराक सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है. […]

नयी दिल्ली : भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाले दुनिया के देशों में अब अमेरिका बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है और इस मामले में वह कुवैत को पीछे छोड़ते हुए छठे नंबर पर पहुंच गया है. भारत को तेल आपूर्ति करने के मामले में इस समय इराक सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है.

चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल से सितंबर अवधि में अमेरिका ने भारत को पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 70 फीसदी अधिक कच्चे तेल एवं गैस की आपूर्ति की है. भारत दुनिया में पेट्रोलियम पदार्थों का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. भारत अपनी कुल तेल जरूरत का 83 फीसदी तक आयात से पूरा करता है.

पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा संसदीय समिति को दिये गये आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 के शुरुआती छह महीनों के दौरान अमरिका ने भारत को 54 लाख टन कच्चे तेल का निर्यात किया. एक साल पहले इतनी ही अवधि में उसने 31 लाख टन तेल की आपूर्ति की थी. भारत ने 2017 में अमेरिका से तेल एवं गैस का आयात शुरू किया. भारत ने अपने पेट्रोलियम आयात को तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) से बाहर ले जाकर इसमें विविधता की शुरुआत की है.

वर्ष 2017- 18 में भारत ने अमेरिका से 19 लाख टन कच्चे तेल का आयात किया, जबकि 2018- 19 में यह मात्रा 62 लाख टन पर पहुंच गयी. चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने में 54 लाख टन की आपूर्ति हुई है. भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति में इराक सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. अप्रैल से सितंबर, 2019 में उसने 2.60 करोड़ टन कच्चे तेल का निर्यात किया. देश की कुल जरूरत की एक चौथाई मात्रा इराक से पूरी होती है. इसके बाद सऊदी अरब का स्थान रहा है, जहां से पहले छह महीने में 2.07 करोड़ टन आयात किया गया.

इसके बाद तीसरे नंबर पर नाइजीरिया फिर संयुक्त अरब अमीरात चौथे नंबर पर और वेनेजुएला का पांचवा स्थान रहा है. कुवैत को पछाड़ते हुए अमेरिका छठे स्थान पर पहुंच गया. इससे पहले ईरान से भारत को कच्चे तेल का 2018-19 में 2.39 करोड़ टन निर्यात किया गया था और वह तीसरे नंबर पर था, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध लगने के बाद वहां से भारत का तेल आयात काफी कम हो गया.

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