राज्यसभा में वित्त मंत्री ने राज्यों को GST क्षतिपूर्ति देने के वादे को पूरा करने का दिया भरोसा

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राज्यों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई की अपनी प्रतिबद्धता को निभायेगी. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि केंद्र कब तक यह भरपाई कर देगा. राज्यों की शिकायत है कि उन्हें जीएसटी राजस्व में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2019 10:44 PM

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राज्यों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई की अपनी प्रतिबद्धता को निभायेगी. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि केंद्र कब तक यह भरपाई कर देगा. राज्यों की शिकायत है कि उन्हें जीएसटी राजस्व में होने वाले कमी की अगस्त से भरपाई नहीं की जा रही है.

देश में जीएसटी व्यवस्था लागू होते समय केंद्र ने राज्यों से वादा किया था कि उनके राजस्व में होने वाले नुकसान की वह भरपाई करेगा. केंद्र ने पांच साल तक राज्यों को यह मदद देने का वादा किया है. देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से अमल में आयी है. राज्यों को यह भरपाई दो महीने के भीतर की जानी चाहिए, लेकिन राज्यों का कहना है कि उन्हें अगस्त, 2019 से यह राशि नहीं मिल रही है.

सीतारमण राज्यसभा में अतिरिक्त अनुदान मांगों पर संसद की मंजूरी के लिए हुई चर्चा का जवाब दे रही थीं. चर्चा के दौरान कांग्रेस, वाम दलों और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने जीएसटी मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. ये दल जानना चाहते थे कि उन्हें कब यह मुआवजा दिया जायेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र अपने दायित्वों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि इसमें किसी को भी शंका नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि राज्यों को जीएसटी के तहत मुआवजा पांच उत्पादों पर लगाये जा रहे उपकर से दिया जाता है. यह मुआवजा विभिन्न राज्यों के वर्ष 2015-16 के राजस्व को आधार मानकर उसमें हर साल 14 फीसदी की वृद्धि की गणना के अनुसार दिया जाता है. जीएसटी लागू होने के पहले साल 2017-18 में जीएसटी उपकर के तहत कर संग्रह 62,596 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से 41,146 करोड़ रुपये राज्यों को जारी किये गये. शेष 15,000 करोड़ रुपये को अगले साल की राशि में शामिल कर लिया गया. इसके बाद के वर्षों में राज्यों को 95,081 करोड़ रुपये और 69,275 करोड़ रुपये जारी किये गये.

सीतारमण ने बताया कि इस मद में इस साल 31 अक्टूबर, 2019 तक 55,467 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि राज्यों को 65,250 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. चालू वित्त वर्ष में राज्यों को 9,783 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान हो चुका है. उन्होंने कहा कि राज्यों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है. हालांकि, वित्त मंत्री ने माकपा के के रागेश के सीधे सवाल का काई जवाब नहीं दिया. रागेश ने पूछा कि बकाये का भुगतान कब तक कर दिया जायेगा. इस पर वित्त मंत्री ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.

सीतारमण ने कहा कि केवल गैर-भाजपा शासित राज्य ही नहीं, बल्कि सभी राज्यों को अगस्त के बाद से जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान नहीं किया गया है. एकीकृत जीएसटी के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि 2017- 18 में किसी राज्य ने एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) का दावा नहीं किया था, लेकिन इसके बाद के वर्षों में इसका भुगतान किया गया. आईजीएसटी एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान के स्थानांतरण पर लगाया जाता है.

उन्होंने कहा कि 2017- 18 के आईजीएसटी राजस्व के वितरण मामले को देखने के लिए राज्य मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया है. इस मामले को जीएसटी परिषद के समक्ष रखा जायेगा. जैसी ही मंत्री समूह की यह रिपोर्ट मिलेगी, इसे जीएसटी के मामले सर्वोच्च अधिकार प्राप्त जीएसटी परिषद के समक्ष रखा जायेगा. सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार सहयोगात्मक संघवाद के सिद्धांत को लेकर प्रतिबद्ध है और वह सभी राज्यों के बकाये का पूरा भुगतान करेगी.

वित्त मंत्री के जवाब के बाद राज्य सभा ने चालू वित्त वर्ष की 21,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अनुपूरक अनुदान मांगों को ध्वनिमत से अपनी सहमति दे दी. लोकसभा पहले ही अतिरिक्त व्यय से संबंधित इन मांगों को पारित कर चुकी है.

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