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March 2020 तक सातवीं आर्थिक गणना की रिपोर्ट सौंप सकती है CSC ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया

नयी दिल्ली : सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया सातवीं आर्थिक गणना रिपोर्ट मार्च 2020 तक दे सकती है. एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया लिमिटेड विशेष उद्देश्यीय कंपनी हैं, जिसका गठन कंपनी कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने किया. इसका मकसद साझा सेवा केंद्र योजना (सीएससीएस) […]

नयी दिल्ली : सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया सातवीं आर्थिक गणना रिपोर्ट मार्च 2020 तक दे सकती है. एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया लिमिटेड विशेष उद्देश्यीय कंपनी हैं, जिसका गठन कंपनी कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने किया. इसका मकसद साझा सेवा केंद्र योजना (सीएससीएस) के क्रियान्वयन पर नजर रखना है.

सीएससी-ई गवर्नेन्स का अनुमान है कि उसके डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग से भारत की जनगणना प्रत्येक 10 साल की बजाय दो साल में संपन्न करायी जा सकती है. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने सातवीं आर्थिक गणना के लिए सीएससी-ई गवर्नेंस सर्विस के साथ गठजोड़ किया है. मंत्रालय सीएससीएस द्वारा किये गये सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेगी। सर्वे दिल्ली में शुक्रवार को शुरू किया गया.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय महानिदेशक (सामाजिक सांख्यिकी) एके साधु ने दिल्ली में सर्वे की शुरुआत करते हुए कहा कि पहली बार पूरी आर्थिक गणना डिजिटल मंच पर की जा रही हैं. इसके लिए एक एप्लीकेशन का उपयोग किया जा रहा है, जिससे बेतहर परिणाम और डाटा सुरक्षा सुनिश्चित होगा.

उन्होंने कहा कि दिल्ली में पूरी प्रक्रिया में तीन महीना लगेगा. इसके तहत 45 लाख प्रतिष्ठानों और घरों के सर्वे किये जायेंगे. साधु ने कहा कि दिल्ली 26वां राज्य है, जहां सर्वे शुरू किया गया है, जबकि 20 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में प्रक्रिया पहले से जारी है.

सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी दिनेश त्यागी ने कहा कि केवल तीन राज्यों (पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और गुजरात) में सातवीं आर्थिक गणना का काम लंबित हैं. हम इन तीन राज्यों में सर्वे शुरू करने की प्रक्रिया में हैं. हम जनवरी में काम शुरू होने की उम्मीद कर रहे हैं और मार्च तक सर्वे मंत्रालय को सौंप दिया जायेगा.

आर्थिक गणना का काम 1977 में शुरू हुआ और तब से केवल छह आर्थिक गणना हुई हैं. इसका कारण सर्वे का काम और आंकड़ों के संग्रह में जटलिता है. देश भर में सर्वे के लिए 1.5 से अधिक प्रशिक्षित लोगों को लगाया गया हैं. ये सभी आर्थिक गणना के लिए 35 करोड़ प्रतिष्ठानों और घरों में जायेंगे.

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