NCLAT ने साइरस मिस्त्री को TATA SONS का बहाल किया चेयरमैन, एन चंद्रा की नियुक्ति अवैध
नयी दिल्ली : साइरस मिस्त्री को बुधवार को बड़ी जीत मिली. राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया. अपीलीय न्यायाधिकरण ने एन चंद्रा की कार्यकारी चेयरमैन पद पर नियुक्ति को भी अवैध ठहराया. हालांकि, न्यायाधिकरण ने कहा कि बहाली आदेश चार सप्ताह बाद […]
नयी दिल्ली : साइरस मिस्त्री को बुधवार को बड़ी जीत मिली. राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया. अपीलीय न्यायाधिकरण ने एन चंद्रा की कार्यकारी चेयरमैन पद पर नियुक्ति को भी अवैध ठहराया. हालांकि, न्यायाधिकरण ने कहा कि बहाली आदेश चार सप्ताह बाद अमल में आयेगा. टाटा संस को अपील करने के लिए यह समय दिया गया है.
इससे पहले साइरस मिस्त्री ने अपनी बर्खास्तगी को एनसीएलटी में चुनौती दी थी, जहां उनकी याचिका खारिज कर दी गयी थी. एनसीएलटी की मुंबई पीठ के नौ जुलाई के आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण के सामने एक याचिका दाखिल की गयी. इसके साथ ही नौ जुलाई को एनसीएलटी मुंबई ने बर्खास्तगी के खिलाफ मिस्त्री की याचिका को खारिज करने के अलावा रतन टाटा और कंपनी के बोर्ड के खिलाफ दुर्व्यवहार के आरोप को भी खारिज किया था. कंपनी कानून 2013 के मुताबिक, एनसीएलटी के आदेश को एनसीएलएटी में चुनौती दी जा सकती है.
गौरतलब है कि टाटा संस के छठे चेयरमैन साइरस मिस्त्री को अक्टूबर, 2016 को पद से हटा दिया गया था. रतन टाटा के रिटायर होने के बाद मिस्त्री ने 2012 में चेयरमैन का पद संभाला था. कंपनी की ओर से बर्खास्त किये जाने के बाद मिस्त्री ने एनसीएलटी में याचिका दाखिल की थी, जिसे एनसीएलटी मुंबई बेंच ने नौ जुलाई को खारिज कर दिया गया था. उन्होंने रतन टाटा और कंपनी के बोर्ड पर गलत व्यवहार करने का भी आरोप लगाया था.
अपने आदेश में एनसीएलटी की स्पेशल बेंच ने कहा था कि टाटा संस के निदेशक मंडल के पास कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन को हटाने का अधिकार है. एनसीएलटी पीठ ने भी यह कहा था कि मिस्त्री को चेयरमैन पद से इसलिए हटाया गया, क्योंकि टाटा संस और इसके अधिकांश शेयरधारकों को उन पर भरोसा नहीं बचा था.
पद से हटाये जाने के दो महीने बाद मिस्त्री के परिवार द्वारा संचालित कंपनियों ने एनसीएलटी में टाटा संस, रतन टाटा और कुछ अन्य बोर्ड सदस्यों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. मिस्त्री ने आरोप लगाये थे कि उनको पद से हटाने की प्रक्रिया कंपनी कानून के मुताबिक नहीं है और टाटा संस में कुप्रबंधन है.
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