दिल्ली हाईकोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और ब्रिटिश गैस से संपत्तियों का ब्योरा देने का दिया आदेश
नयी दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और उसकी भागीदार ब्रिटिश गैस (बीजी) को अपनी संपत्तियों के बारे में जानकारी देने को कहा है. न्यायालय ने यह आदेश केंद्र सरकार की याचिका पर दिया है. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में इन दोनों कंपनियों को अपनी संपत्तियों नहीं बेचने का […]
नयी दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और उसकी भागीदार ब्रिटिश गैस (बीजी) को अपनी संपत्तियों के बारे में जानकारी देने को कहा है. न्यायालय ने यह आदेश केंद्र सरकार की याचिका पर दिया है. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में इन दोनों कंपनियों को अपनी संपत्तियों नहीं बेचने का निर्देश देने का आग्रह किया है. सरकार इन दोनों कंपनियों को उनकी संपत्तियों को बेचने से दूर रहने का आदेश देने के लिए अदालत पहुंची है.
केंद्र सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने उसे 385.67 करोड़ डॉलर का भुगतान नहीं किया है. यह राशि पन्ना-मुक्ता और ताप्ती (पीएमटी) के उत्पादन-भागीदारी अनुबंध मामले में मध्यस्थता अदालत के केंद्र सरकार के पक्ष में दिये गये फैसले के तहत दी जानी थी. दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेआर मिधा ने दोनों कंपनियों को नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के तहत जारी 16ए के नये फॉर्म के अनुरूप अपनी संपत्तियों के बारे में हलफनामा दायर करने को कहा है. इस फॉर्म के प्रारूप को हाईकोर्ट ने हाल में दिये गये एक फैसले में जारी किया है.
हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को दिये गये निर्देश में इन कंपनियों को 16ए के नये फार्म के अनुरूप हलफनामा दायर करने को कहा है. यह निर्देश सरकार की ओर से दायर कि गयी याचिका के बाद दिया गया. केंद्र सरकार ने अपने आवेदन में कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज भारी कर्ज के बोझ में है.
यही वजह है कि कंपनी अपनी संपत्तियों को बेचने और हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में है. ऐसा कर वह अपनी चल एवं अचल संपत्तियों में तीसरे पक्ष को ला रही है. रिलायंस यदि अपनी संपत्ति की बिक्री कर देती है, तो ऐसी स्थिति में मध्यस्थता अदालत के निर्णय को अमल में लाने के लिये सरकार के लिए कुछ नहीं बचेगा.
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