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#Memorable_2019 : देनदारी के बोझ और गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बीच पूरे साल त्राहिमाम करता रहा टेलीकॉम सेक्टर

नयी दिल्ली : भारतीय दूरसंचार क्षेत्र और वर्ष 2019. यह साल इस क्षेत्र के लिए यादगार रहेगा. इस क्षेत्र के लिए साल 2019 समस्याओं, देनदारियों, कर्ज और गलाकाट प्रतिस्पर्धा के लिए ज्यादा याद किया जायेगा. समस्याएं गहराती रहीं और पुरानी कंपनियां अस्तित्व बचाने के लिए सरकार तथा विनियामक ट्राई से लगातार बचाव की पुकार करती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2019 7:10 PM

नयी दिल्ली : भारतीय दूरसंचार क्षेत्र और वर्ष 2019. यह साल इस क्षेत्र के लिए यादगार रहेगा. इस क्षेत्र के लिए साल 2019 समस्याओं, देनदारियों, कर्ज और गलाकाट प्रतिस्पर्धा के लिए ज्यादा याद किया जायेगा. समस्याएं गहराती रहीं और पुरानी कंपनियां अस्तित्व बचाने के लिए सरकार तथा विनियामक ट्राई से लगातार बचाव की पुकार करती रहीं. इन्हीं कारणों से इस क्षेत्र की ज्यादातर कंपनियां त्राहिमाम करती रहीं और साल के आखिर अपने राजस्व बकाये का सारा बोझ उपभोक्ताओं मत्थे थोप दिया.

कीमतों को लेकर छिड़ी जंग के बीच अरबों डॉलर की भारी-भरकम देनदारी ने दूरसंचार कंपनियों की मुश्किलें बढ़ा दी और उद्योग के सामने अस्तित्व का खतरा मंडराने लगा. सेवाओं की दर को लेकर नयी और पुरानी दूरसंचार कंपनियों में छिड़ी जंग से उनके मुनाफे पर असर पड़ा और बहुत सी कंपनियां बाजार से बाहर हो गयीं.

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों को उनके दूसरे कार्यों से आय (गैर-संचार राजस्व) को सकल समयोजित आय (एजीआर) की परिभाषा में शामिल करने का आदेश दिया. इससे पुरानी दूरसंचार कंपनियों और रिलायंस जियो के बीच एक बार फिर जंग शुरू हो गयी. हालांकि, इसी दौरान सेवाओं की दरें बढ़ाने और न्यूनतम शुल्क तय करने के लिए कंपनियों के बीच बनी सहमति युद्ध विराम के संकेत देती है.

दूरसंचार कंपनियों के शीर्ष संगठन सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा कि हम सभी बुनियादी तौर पर मोबाइल कॉलिंग नेटवर्क से चल कर हाइब्रिड नेटवर्क (वॉयस एवं इंटरनेट डेटा) की ओर गये और अब जल्दी ही पूरी तरह डेटा नेटवर्क होने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस लिहाज से मार्च, 2020 से पहले मोबाइल सेवा के लिए टैरिफ प्लान या न्यूनतम शुल्क तय करने की जरूरत है.

भारत 2019 में दुनिया का सबसे सस्ता दूरसंचार शुल्क वाला देश बनकर उभरने के साथ सबसे तेजी से बढ़ रहा दूरसंचार बाजार भी है. यहां एक जीबी डेटा की कीमत 0.26 डॉलर है, तो ब्रिटेन में एक जीबी डेटा के लिए ग्राहकों को 6.66 डॉलर और अमेरिका में 12.37 डॉलर खर्च करने पड़ते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर को सरकार की याचिका पर दूरसंचार कंपनियों को पुराने बकाये का भुगतान एजीआर की नयी परिभाषा के अनुरूप करने का आदेश दिया. अनुमान है कि इससे दूरसंचार कंपनियों पर कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये की सांविधिक देनदारी निकल आयी. कंपनियों ने अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर किया. वोडाफोन-आइडिया ने कहा कि भुगतान के मामले में सरकार की ओर से राहत नहीं मिलने पर उसे कारोबार बंद करना पड़ सकता है.

दूरसंचार उद्योग सात से आठ कंपनियों की जगह अब सिर्फ तीन निजी कंपनियों और एक सरकारी कंपनी तक सिमट कर रह गया. समायोजित सकल आय (एजीआर) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बकाया सांविधिक देनदारियों के लिए भारी खर्च के प्रावधान के चलते वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कुल मिलाकर करीब 74,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. इसमें वोडाफोन-आइडिया ने पुरानी सांविधिक देनदारियों के लिए दूसरी तिमाही में ऊंचे प्रावधान के चलते 50,921 करोड़ रुपये, जबकि भारती एयरटेल ने इसी के चलते 23,045 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया.

सरकार ने निजी दूरसंचार कंपनियों को राहत देते हुए स्पेक्ट्रम भुगतान में दो साल की मोहलत दी. हालांकि, सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए यह साल अच्छा रहा. सरकार ने दोनों कंपनियों के लिए 69,000 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी. बीएसएसनएल और एमटीएनएल ने आखिरी महीनों में स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजना पेश की. कुल मिलाकर करीब 92,700 कर्मचारियों ने इस योजना को चुना. इससे सालाना 8,800 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है.

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