नयी दिल्ली : साल 2020 में 44 से अधिक केंद्रीय श्रम कानूनों के चार संहिताओं में समाहित होने की उम्मीद है. निवेश आकर्षित करने और आर्थिक नरमी से निपटने के लिए सरकार के श्रम बाजार के संबंधी प्रस्तावित कदमों से नया साल श्रम सुधारों का साल हो सकता है. श्रम कानून प्रभावी तरह से लागू हो, इसके लिए श्रम मंत्रालय अगले महीने ‘संतुष्ट’ पोर्टल लाने पर भी विचार कर रहा है.
दरअसल, सरकार को 2020 में वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक एवं व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं को लेकर चार संहिताओं के लागू होने की संभावना है. इससे कारोबार करने में आसानी और श्रमिकों के हित की रक्षा होगी. श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि हमें उम्मीद है कि साल 2020 श्रम सुधारों का वर्ष रहेगा. चारों संहिताओं के 2020 में हकीकत में तब्दील होने की उम्मीद है. इन संहिताओं से कर्मचारियों और नियोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी. हमने श्रमिकों के साथ-साथ कर्मचारियों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है.
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर के छह साल के निचले स्तर पर चले जाने के बीच ये श्रम सुधार काफी अहमियत रखते हैं. खुदरा मुद्रास्फीति या उपभोक्ता मूल्य आधारित सूचकांक (सीपीआई) नवंबर महीने में 40 महीने के ऊंचे स्तर 5.54 फीसदी पर पहुंच गयी. गंगवार ने कहा कि यूनियनों और नियोक्ताओं के साथ कई त्रिपक्षीय बैठकों के बाद हमने चारों संहिताओं को लोकसभा में पेश किया. इसके अलावा, सभी संहिताओं को समीक्षा के लिए स्थायी समिति के पास भेजा है.
दूसरे राष्ट्रीय श्रम आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, मंत्रालय कानून के प्रावधानों को सरल और तर्कसंगत बनाने के लिए 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को संहिता में परिवर्तित कर रहा है. संसद ने वेतन संहिता को मंजूरी दे दी है. संहिता के तहत नियमों को तैयार करने के बाद कानून लागू किया जायेगा. शेष तीनों संहिताओं को श्रम पर संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कर्मचारियों और श्रमिकों की शिकायतों के समाधान के साथ ही जमीनी स्तर पर श्रम कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए हमारी योजना एक नया पोर्टल ‘संतुष्ट’ पेश करने की है. इस पोर्टल के अगले महीने पेश होने की उम्मीद है. यह एक आंतरिक प्रदर्शन निगरानी प्रकोष्ठ होगा, जिसमें पांच-छह अधिकारी होंगे. यह कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) जैसी सामाजिक सुरक्षा निकायों के प्रदर्शन की निगरानी करेगा.
संगठित क्षेत्र से इतर सरकार ने 2019 में प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना पेश की. इस योजना के तहत रिक्शा चालक, मोची, घरेलू नौकर समेत अन्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को 3000 रुपये मासिक की न्यूनतम पेंशन मिलेगी. योजना के पोर्टल के मुताबिक, असंगठित क्षेत्र के करीब 40 लाख कर्मचारी इस योजना के तहत नामांकन करा चुके हैं. 2020 में यह देखना है कि इससे कितने और लोग जुड़ते हैं. सरकार असंगठित क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को जोड़ने के लिए विशेष प्रयास करेगी, क्योंकि देश में इस क्षेत्र में 40 करोड़ से ज्यादा लोग काम करते हैं.
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