नयी दिल्ली : देश का राजकोषीय घाटा नवंबर अंत तक पूरे वर्ष के बजट अनुमान के मुकाबले 114.8 फीसदी तक पहुंच गया. सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है. इसके मुताबिक, नवंबर अंत तक राजकोषीय घाटा 8.07 लाख करोड़ रुपये रहा है. महालेखा नियंत्रक (सीएजी) के जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 30 नवंबर, 2019 को केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 8,07,834 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. एक साल पहले भी इसी अवधि में सरकार का वित्तीय घाटा 2018-19 के बजट अनुमान का 114.8 फीसदी पर ही था.
सरकार ने 2019-20 के बजट में वित्तीय घाटे के पूरे साल में 7.03 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है. यह आंकड़ा सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 फीसदी है. सरकार के कुल खर्च और कुल प्राप्ति के अंतर को वित्तीय अथवा राजकोषीय घाटा कहते हैं. सरकार ने इससे पहले सितंबर में कंपनियों के लिए कर की दर में भारी कटौती की. इससे राजस्व पर 1.45 लाख करोड़ रुपये का असर पड़ने का अनुमान है.
इस बीच, मुंबई से प्राप्त रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में बैंकों से गैर-खाद्य ऋण वृद्धि धीमी पड़कर 7.2 फीसदी रहकर 86.73 लाख करोड़ रुपये रही है. हालांकि, एक साल पहले इसी अवधि में बैंकों का गैर-खाद्य ऋण 13.8 फीसदी बढ़कर 80.93 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था.
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, उद्योगों को ऋण वृद्धि नवंबर, 2019 अंत में 2.4 फीसदी रहकर 27.72 लाख करोड़ रुपये रही, जो कि नवंबर 2018 में 4 फीसदी बढ़ी थी. रिजर्व बैंक की मंगलवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि उद्योगों के अलग-अलग क्षेत्र की यदि बात की जाये, तो खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, रसायन और रसायन उत्पादों, अवसंरचना और निर्माण क्षेत्र के कर्ज में गिरावट आयी है.
वहीं, रबड़, प्लास्टिक और इनके उत्पादों, सीमेंट तथा सीमेंट उत्पादों के क्षेत्र में ऋण वृद्धि तेज हुई है. जहां तक कृषि और संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों के लिए ऋण वृद्धि की बात है, नवंबर के अंत तक यह कुछ धीमी रहकर 6.5 फीसदी रही है. एक साल पहले नवंबर में यह वृद्धि 7.7 फीसदी पर थी.
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