नयी दिल्ली : भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने, अधिक रोजगार पैदा करने और वृद्धि के बेहतर अवसर के लिए बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों के क्षेत्र में मजबूत पारिस्थितिकी तैयार करने की जरूरत है. इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड का ऐसा मानना है.
इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि वह आईटैग बिजनेस सॉल्यूशंस लिमिटेड के साथ मिलकर यहां आठ से 10 जनवरी तक वैश्विक आईपी संगोष्ठी के 12वें संस्करण का आयोजन करने वाला है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसका उद्घाटन करेंगी. सम्मेलन में 25 देशों के 500 से अधिक प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है. कार्यक्रम के समापन सत्र में पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु मुख्य अतिथि होंगे.
संस्था के जारी बयान में कहा गया है कि आज के समय में किसी भी देश के आर्थिक विकास में बौद्धिक संपदा बड़ी भूमिका निभा रही है. अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका करीब 35 फीसदी का योगदान है. अमेरिका की जीडीपी में आईपी का योगदान 6,000 अरब डॉलर का है, जो कि भारत की जीडीपी से दोगुनी है. यूरोप की जीडीपी में आईपी का योगदान करीब 39 फीसदी तक है.
संस्था ने कहा कि यदि भारत को तेजी से आगे बढ़ना है, तो उसे भी अमेरिका, यूरोप और चीन की तरह बौद्धिक संपदा पर ध्यान देने की जरूरत है. उसने कहा कि यदि बौद्धिक संपदा की ठोस पारिस्थितिकी तैयार की जाती है, तो इससे हमारी स्वदेशी प्रौद्योगिकी को विशिष्टता मिलेगी और हमारा निर्यात प्रतिस्पर्धी होगा.
उसने कहा कि नतीजतन, आयात कम होगा और चालू खाता घाटा की मौजूदा स्थिति लाभ में बदल जायेगी. रुपये को भी इससे मजबूती मिलेगी. आखिरकार, यह देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के साथ ही निकट भविष्य में 10 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में भी मदद करेगा.
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