टाटा-मिस्त्री मामला : फैसले में संशोधन की कंपनी रजिस्ट्रार की अर्जी को NCLAT ने किया खारिज

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कंपनी रजिस्ट्रार की उस अर्जी को सोमवार को खारिज कर दिया, जिसमें न्यायाधिकरण से साइरस मिस्त्री-टाटा संस मामले में अपने पहले के निर्णय में संशोधन किये जाने की मांग की गयी थी. एनसीएलएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यता वाली दो सदस्यीय पीठ ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 6, 2020 4:57 PM

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कंपनी रजिस्ट्रार की उस अर्जी को सोमवार को खारिज कर दिया, जिसमें न्यायाधिकरण से साइरस मिस्त्री-टाटा संस मामले में अपने पहले के निर्णय में संशोधन किये जाने की मांग की गयी थी. एनसीएलएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कंपनी पंजीयक (आरओसी) की अर्जी पर सुनवाई के बाद सोमवार को उसे खारिज किया. उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर, 2019 के निर्णय में संशोधन किये जाने का कोई आधार नहीं बनता है.

आरओसी कंपनी मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली एजेंसी है। एनसीएलएटी ने उस फैसले में मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल किये जाने का आदेश दिया है. न्यायाधिकरण के 172 पृष्ठ के फैसले में यह भी कहा गया है कि टाटा समूह की धारक कंपनी टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी में बदला जाना ‘गैर-कानूनी’ है तथा यह ‘आरओसी की मदद से’ किया गया कार्य है.

टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा और समूह की कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) 18 दिसंबर के निर्णय को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका पहले ही दायर कर चुके हैं. आरओसी ने 23 दिसंबर को दायर अपनी अर्जी में इन दो याचिकाओं में पक्षकार बनने की अनुमति मांगी थी.

उसने अपनी अर्जी में 18 दिसंबर के निर्णय में टाटा संस लि को प्राइवेट कंपनी में परिवर्तित किये जाने के मामले में ‘गैर-कानूनी’ और ‘आरओसी की मदद से’ जैसे शब्दों के प्रयोग को हटाये जाने की मांग भी की थी. अर्जी में कहा गया था कि इस निणर्य के पैरा 186 और 187 (चार) में इस तरह से संशोधित किया जाये, ताकि आरओसी मुंबई का कार्य-व्यवहार फैसले में सही ढंग से परिलक्षित हो.

अर्जी में दावा किया गया था कि ‘आरओसी मुंबई ने कोई गैर-कानूनी काम नहीं किया है, बल्कि यह कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार था.’ आरओसी ने न्यायाधिकरण ने फैसले के पैरा 181 में भी संशोधन कर ‘आक्षेप’ को मिटाये जाने का अनुरोध किया था. आरओसी मुंबई ने टाटा संस की इस मामले में तत्परता से सहायता की.

एजेंसी ने दावा किया था कि आरओसी मुंबई ने जो कुछ किया वह कानून के अनुसार किया गया था. न्यायाधिकरण ने टाटा संस को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी के रूप में बदले जाने को अल्पांश भागीदार (मिस्त्री समूह) के हितों के खिलाफ बताया है और आरओसी को उसे बदलकर कंपनी को दोबारा पब्लिक कंपनी के रूप में दर्शाये जाने का आदेश दिया है.

एनसीएलएटी ने अपने उस निर्णय में साइरस मिस्त्री को टाटा औद्योगिक घराने की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के चयरमैन पर पर बहाल करने का आदेश दिया है और इस पद पर एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को गैर-कानूनी करार दिया है. टाटा समूह ने अक्टूबर, 2016 में मिस्त्री को समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद से हटा दिया था. उनकी जगह चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन की जिम्मेदारी दी गयी थी.

टाटा संस शुरू में एक प्राइवेट कंपनी ही थी, लेकिन कंपनी अधिनिमय 1956 में धारा 43ए (1क) जोड़ने के बाद इसे औसत वार्षिक कारोबार के आकार के आधार पर पहली फरवरी, 1975 से पब्लिक कंपनी मान लिया गया था. इस बीच, मिस्त्री ने रविवार को कहा कि वह फिर से टाटा संस में कार्यकारी चेयरमैन या कोई अन्य कार्यकारी पर नहीं बनना चाहते, लेकिन उन्होंने कहा कि वह यह जरूर चाहते हैं कि इस धारक कंपनी के निदेशक मंडल में उन्हें जगह मिले.

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