वाशिंगटन : विश्व बैंक ने 2019-20 में भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कम होकर पांच फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है. हालांकि, उसने कहा है कि अगले साल 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 5.8 फीसदी पर पहुंच सकती है. विश्व बैंक की बुधवार को जारी हालिया ‘वैश्विक आर्थिक संभावनाएं’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के ऋण वितरण में नरमी जारी रहने का अनुमान है.
इसके चलते भारत की वृद्धि दर 2019-20 में पांच फीसदी तथा 2020-21 में सुधरकर 5.8 फीसदी रह सकती है. उसने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र के ऋण वितरण में नरमी से भारत में घरेलू मांग पर पर काफी असर पड़ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में ऋण की अपर्याप्त उपलब्धता तथा निजी उपभोग में नरमी से गतिविधियां संकुचित हुई हैं.
उल्लेखनीय है कि सरकार को मंगलवार को जारी आंकड़ों में 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर के पांच फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है. सरकार ने विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन को इसका कारण माना है. यह 11 साल की सबसे धीमी वृद्धि दर होगी. रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया कि 2019 में आर्थिक गतिविधियों में खासी गिरावट आयी. विनिर्माण और कृषि क्षेत्र में गिरावट अधिक रही, जबकि सरकारी खर्च से सरकार संबंधी सेवाओं के उप क्षेत्रों को ठीक-ठाक समर्थन मिला.
उसने कहा कि 2019 की जून तिमाही और सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर क्रमश: पांच फीसदी और 4.5 फीसदी रही, जो 2013 के बाद सबसे निम्न स्तर है. विश्वबैंक के अनुसार, लोगों के उपभोग तथा निवेश में नरमी ने सरकारी खर्च के प्रभाव को नगण्य बना दिया. आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के शेष समय में भी गतिविधियों के कमजोर बने रहने की आशंका है.
हालांकि, विश्वबैंक ने रसोई गैस पर सब्सिडी को क्रमिक तौर पर समाप्त करने के भारत के प्रयासों की सराहना की है. उसने कहा कि एलपीजी पर सब्सिडी से काला बाजार तैयार हो रहा था और घरेलू इस्तेमाल का एलपीजी व्यावसायिक क्षेत्रों में पहुंच रहा था. सब्सिडी हटाने के कार्यक्रम से काला बाजार समाप्त हुआ. विश्वबैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के 2020 में 2.5 फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान व्यक्त किया.
उसने कहा कि 2020 में शुल्क वृद्धि तथा अनिश्चितता बढ़ने से अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 1.8 फीसदी पर आ सकती है. इस दौरान, यूरोप की वृद्धि दर उद्योग जगत की नरम गतिविधियों के कारण कम होकर एक फीसदी पर आ सकती है. विश्व बैंक के अनुसार, 2019-20 में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर 2.4 फीसदी तथा बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी से कुछ ऊपर रह सकती है. विश्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा कि दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय वृद्धि दर में क्रमिक सुधार होने का अनुमान है और घरेलू मांग में धीमे सुधार से यह 2022 में छह फीसदी पर पहुंच सकता है.
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