”आर्थिक नरमी दूर करने के लिए आपूर्ति बाधाओं को दूर करने और कड़े संचालन नियमों की जरूरत”

नयी दिल्ली : मुद्रास्फीति में तेजी और धीमी पड़ती वृद्धि दर आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की वृद्धि संभावना को लेकर गंभीर चिंता का विषय है. सुधारात्मक उपाय के रूप में सरकार को आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने के साथ संचालन के और कड़े नियम सुनिश्चित करने की जरूरत है. सोमवार को जारी एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2020 7:14 PM

नयी दिल्ली : मुद्रास्फीति में तेजी और धीमी पड़ती वृद्धि दर आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की वृद्धि संभावना को लेकर गंभीर चिंता का विषय है. सुधारात्मक उपाय के रूप में सरकार को आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने के साथ संचालन के और कड़े नियम सुनिश्चित करने की जरूरत है. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है.

अर्थव्यवस्था के बारे में डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट की रिपोर्ट में कहा गया कि भले ही औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) नवंबर, 2019 में सकारात्मक रहा, लेकिन इसके नरम रहने की आशंका है. रिपोर्ट के अनुसार, खपत और निवेश में नरमी के साथ उच्च मुद्रास्फीति दबाव, भू-राजनीतिक मसले और आर्थिक वृद्धि में पुनरुद्धार को लेकर अनिश्चितताओं के कारण आईआईपी नरम रह सकती है.

डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट ने आईआईपी के दिसंबर, 2019 में 1.5 से 2.0 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान जताया है. सरकारी आंकड़े के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन में तीन महीनों से गिरावट के बाद नवंबर में इसमें 1.8 फीसदी की वृद्धि हुई. इसका कारण विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि है. कीमत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि असामान्य बारिश के साथ कई राज्यों में बाढ़ तथा भू-राजनीतिक मसलों के कारण सकल मुद्रास्फीति बढ़ी है. वहीं, मांग हल्की है.

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 7.35 फीसदी पर पहुंच गयी, जो करीब साढ़े पांच साल का उच्च स्तर है. मुख्य रूप से सब्जियों के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी. इससे पहले, नवंबर महीने में यह 5.54 फीसदी थी. डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा, ‘मुद्रास्फीति में तीव्र वृद्धि के कारण मौद्रिक नीति प्रोत्साहन पर कुछ अंकुश लगा है. वहीं, राजस्व में कमी से सरकारी व्यय प्रभावित हुआ है.

सिंह के अनुसार, वृद्धि में नरमी तथा उसे गति देने के उपायों से राजकोषीय घाटा लक्ष्य से अधिक रह सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार को नरमी दूर करने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने पर ध्यान देना चाहिए. इसके तहत मुख्य रूप से आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने तथा संचालन के और कड़े नियम सुनिश्चित करने चाहिए.

सिंह ने कहा कि जब तक व्यापार नीति रूपरेखा के तहत इन चिंताओं का समाधान नहीं किया जाता, भारत 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने को लेकर सतत वृद्धि हासिल नहीं कर सकता.

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