नयी दिल्ली : विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी और आंकड़ों के विश्लेषण के बाद वित्त मंत्रालय ने नोटबंदी के दौरान आभूषण विक्रेताओं द्वारा बैंकों में जमा की गयी भारी नकदी की जांच-पड़ताल शुरू कर दी है. दरअसल, इन कारोबारियों ने जितनी नकदी जमा की है, वह उनके आय के ज्ञात स्रोतों से मेल नहीं खाती.
सूत्रों ने कहा कि जांच के दायरे में आये इन जौहरियों ने आकलन वर्ष 2017-18 के अपने आयकर रिटर्न में इस तरह के लेनदेन की कोई जानकारी नहीं दी है. सूत्रों का कहना है कि नोटबंदी के दौरान कई आभूषण कारोबारियों ने बैंकों में बेहिसाब नकदी जमी की. इस नकदी के बारे में वह अपने बिक्री कारोबार से प्राप्त आय अथवा कोई अन्य संतोषजनक ब्योरा नहीं दे पाये. एक मामले में तो जमा की गई राशि उस कारोबारी की पिछले साल की आय के मुकाबले 93,648 फीसदी ज्यादा है.
उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा हैरान करने वाला मामला गुजरात से सामने आया है. यहां एक आभूषण कारोबारी ने नोटबंदी (9 नवंबर से 30 दिसंबर 2016) के दौरान 4.14 करोड़ रुपये नकद जमा किये हैं, जबकि इससे एक साल पहले इसी अवधि में उस कारोबारी की जमा राशि 44,260 रुपये ही थी. इसमें 93,648 फीसदी की वृद्धि सामने आयी है.
सूत्रों के मुताबिक, आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि कई आभूषण कारोबारी जिन्होंने रिटर्न में अपनी आय पांच लाख से कम दिखायी, उन्होंने नोटबंदी के दौरान दो-तीन दिन में ही करोड़ों रुपये की नकदी जमा की. आंकड़ों की छानबीन से पता चलता है कि एक आभूषण कारोबारी जिसकी सालाना आय सिर्फ 1.16 लाख रुपये थी, उसने तीन दिन में 4.13 करोड़ रुपये जमा किये.
इसी प्रकार, 2.66 लाख रुपये की आय वाले एक जौहरी ने दो दिन में 3.28 करोड़ रुपये और 5.4 लाख रुपये की आय दिखाने वाले एक अन्य सुनार ने 2.57 करोड़ रुपये जमा कराये. एक अन्य मामले में एक आभूषण कारोबारी जिसकी रिटर्न में सालाना आय सिर्फ 3.23 करोड़ रुपये थी, उसने 52.26 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा किये.
सूत्रों ने कहा कि कारोबारी के पास नौ नवंबर, 2015 में सिर्फ 2.64 लाख रुपये की नकदी थी, जबकि नौ नवंबर, 2016 तक उसके पास 6.22 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी हो गयी. नकदी में अचानक 23,490 फीसदी वृद्धि को लेकर वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. सूत्रों के अनुसार, एक अन्य मामले में आभूषण कारोबारी ने विभिन्न अज्ञात ग्राहकों से 20,000 रुपये से कम नकदी प्राप्त की और उसे बैंक खाते में जमा कर दिया. उसके बाद यही राशि उसी ग्राहक को बिना किसी कारण के लौटा दी गयी.
सूत्रों ने बताया कि सबसे मजेदार मामला यह देखा गया कि कुछ ने आयकर रिटर्न दाखिल करने से पहले फार्म 3सीबी के साथ ऑडिट रिपोर्ट अपलोड करते हुए कुछ कारोबारियों ने अपना नफा-नुकसान खाता अपलोड करने की बजाय किसी दूसरी कंपनी का खाता अपलोड कर दिया.
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