Union Budget 2020: किसने, कब पेश किया था भारत का पहला बजट? जानिए कैसे बनता है बजट
Union Budget 2020 India: किसी भी देश की आर्थिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए वित्तीय तंत्र का व्यवस्थित रहना बेहद जरूरी है. हर साल खासकर सरकारी आय और व्यय का लेखाजोखा तय होना और फिर उसके अनुसार आर्थिक गतिविधियों का संचालन सुनिश्चित करना जरूरी होता है. इसे देखते हुए भारत सहित दुनिया के सभी […]
Union Budget 2020 India: किसी भी देश की आर्थिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए वित्तीय तंत्र का व्यवस्थित रहना बेहद जरूरी है. हर साल खासकर सरकारी आय और व्यय का लेखाजोखा तय होना और फिर उसके अनुसार आर्थिक गतिविधियों का संचालन सुनिश्चित करना जरूरी होता है. इसे देखते हुए भारत सहित दुनिया के सभी देशों में सालाना वित्तीय लेखाजोखा या बजट पेश किया जाता है.
‘बजट’ लैटिन शब्द ‘बोजते’ से बना है, जिसका मतलब होता है – ‘चमड़े का थैला’. मध्यकाल में पश्चिमी देशों के व्यापारी रुपये-पैसे रखने के लिए चमड़े के थैले का प्रयोग करते थे. बाद में आय-व्यय का ब्योरा ‘बजट’ भी सदन में पेश करने के लिए बैग में ही रखकर लाया जाने लगा.
बहरहाल बात करें भारत की, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार यूनियन बजट को लेकर अंतिम तैयारियाें में जुटी है. वित्त मंत्रालय ने हलवा रस्म के साथ इसकी शुरुआत कर दी है. मोदी सरकार एकफरवरीको वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करेगी.
भारत में बजट पेश करने का इतिहास लगभग 160 साल पुराना है. देश के लिए सबसे पहला बजट 18 फरवरी, 1869 को जेम्स विल्सन ने पेश किया था. उन्हें भारतीय बजट का जनक भी कहा जाता है. विल्सन तत्कालीन अविभाजित भारत में वायसराय लॉर्ड कैनिंग की परिषद में वित्त सदस्य थे. उनका मुख्य काम वित्तीय मामलों में वायसराय को सलाह देना था. विल्सन स्कॉटलैंड के जाने-माने व्यवसायी, अर्थशास्त्री और उदारवादी धड़े के राजनेता थे. ब्रिटिश सांसद विल्सन को प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट’ और ‘स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक’ के संस्थापक के तौर पर भी जाना जाता है.
भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलने वाला वित्तीय वर्ष 1867 से शुरू हुआ था. इससे पहले तक 1 मई से 30 अप्रैल तक का वित्तीय वर्ष चलन में था.
आजादी से पहले अंतरिम सरकार का बजट ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के लियाकत अली खां ने 9 अक्तूबर 1946 से लेकर 14 अगस्त 1947 तक के लिए पेश किया था.
वहीं, आजाद भारत का पहला अंतरिम बजट 26 नवंबर 1947 को आरके षणमुगम शेट्टी ने प्रस्तुत किया था. इसमें 204.59 करोड़ रुपये का वित्तीय घाटा दिखाया गया था, जबकि कुल राजस्व का आकलन 171.15 रुपये था.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-112 में भारत के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है, जो भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है. बजट को लागू करने से पहले इसे संसद द्वारा पास करना आवश्यक होता है.
वर्ष 2000 तक अंग्रेजी परंपरा से अनुसार बजट शाम को 5 बजे प्रस्तुत किया जाता था, लेकिन 2001 में एनडीए सरकार के वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने इस परंपरा को तोड़ते हुए शाम की बजाय सुबह 11 बजे संसद में बजट प्रस्तुत किया. तब से लेकर हर साल सुबह के ही वक्त बजट पेश किया जाता है.
सामान्य स्थिति में बजट निर्माण की प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो जाती है. बजट के लिए सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को सर्कुलर भेजा जाता है, जिसके जवाब में विवरण के साथ उन्हें आगामी वित्तीय वर्ष के अपने-अपने खर्च, विशेष परियोजनाओं का ब्योरा और फंड की आवश्यकता की जानकारी देनी होती है. यह बजट की रूपरेखा के लिए एक जरूरी कदम है.
बजट को सार्वजनिक करने से पहले इसे बेहद गुप्त रखा जाता है. बजट बनाने के दौरान वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग टेक्नीशियन और स्टेनोग्राफर्स नार्थ ब्लॉक में एक तरह से कैद में रहते हैं.
बजट को संसद में पेश करने से पहले 7 दिनों तक इससे जुड़े अधिकारी बाहरी दुनिया से एकदम कट जाते हैं. यहां तक कि उन्हें परिजनों से बात करनेकी भी इजाजत नहीं होती. किसी आपातकालीन स्थिति में इन अधिकारियों के परिवार उन्हें दिये गये नंबर पर संदेश छोड़ सकते हैं, लेकिन उनसे सीधे बात नहीं कर सकते. संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी बजट बनाने वाली टीम की गतिविधियों और फोन कॉल्स पर नजर रखते हैं.
अच्छे काम की शुरुआत कुछ मीठाखाकर करनी चाहिए. कुछ इसी सोच के साथ नॉर्थ ब्लॉक में बजट तैयार करने कीप्रक्रिया की शुरुआत ‘हलवा सेरेमनी’केसाथ की जाती है. इसके लिए बड़े पैमाने पर हलवा तैयार किया जाता है, जिसे बजट से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है. वित्तमंत्री भी इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं.
आम बजट को आमतौर पर दो हिस्सों में पेश किया जाता है. पहले भाग में सामान्य आर्थिक पहलुओं को शामिल किया जाता है. इसमें विभिन्न परियोजनाओं के संचालन या नये प्रोजेक्ट्स आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है. वहीं, दूसरे हिस्से में कर प्रणाली को शामिल किया जाता है. इसके तहत मौजूदा कर ढांचे में बदलाव या कर में वृद्धि या कटौती के प्रावधान को शामिल किया जाता है.
पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किया जाता था. मोदी सरकार ने 2017 में इस परंपरा को खत्म करते हुए रेल बजट को आम बजट में मिला दिया.
बजट का भाषण वित्तमंत्री का एक सबसे सुरक्षित दस्तावेज होता है. इसे बजट की घोषणा होने के दो दिन पहले मध्यरात्रि में प्रिंटर्स को सौंपा जाता है.
वित्त मंत्री सालभर का बजट प्रस्ताव सदन के पटल पर रखते हैं, जिसपर चर्चा के बाद वोटिंग होती है. संसद की मंजूरी के बाद विधेयक को 75 दिन के भीतर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति के विधेयक को मंजूरी के साथ ही बजट प्रक्रिया पूरी हो जाती है.
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