प्लास्टिक कचरे से सड़क बनाने की तकनीक NHAI को सौंपने को तैयार रिलायंस इंडस्ट्रीज

नागोथाने (महाराष्ट्र) : उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को अपनी ‘प्लास्टिक कचरे से सड़क’ निर्माण की तकनीक देने की पेशकश की है. इस प्रौद्योगिकी से सड़क निर्माण में प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकेगा. कंपनी ने रायगढ़ जिले स्थित अपने नागोथाने विनिर्माण संयंत्र में इस तकनीक का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2020 4:30 PM

नागोथाने (महाराष्ट्र) : उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को अपनी ‘प्लास्टिक कचरे से सड़क’ निर्माण की तकनीक देने की पेशकश की है. इस प्रौद्योगिकी से सड़क निर्माण में प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकेगा. कंपनी ने रायगढ़ जिले स्थित अपने नागोथाने विनिर्माण संयंत्र में इस तकनीक का परीक्षण किया है. इसके अलावा, वह कई और पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है.

कंपनी ने अपने संयंत्र में 50 टन प्लास्टिक कचरे को कोलतार के साथ मिलाकर करीब 40 किलोमीटर लंबी सड़क बनायी है. कंपनी के पेट्रोरसायन कारोबार के मुख्य परिचालन अधिकारी विपुल शाह ने कहा कि पैकेटबंद सामानों के खाली पैकेट, पॉलीथीन बैग जैसे प्लास्टिक कचरों का इस्तेमाल सड़क निर्माण में करने की प्रणाली विकसित करने में हमें करीब 14 से 18 महीने का वक्त लगा. हम इस अनुभव को साझा करने के लिए एनएचएआई के साथ बाचतचीत कर रहे हैं, ताकि सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरों का इस्तेमाल किया जा सके.

एनएचएआई के अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज देशभर में राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को भी यह तकनीक सौंपने के लिए बातचीत कर रही है. कंपनी की यह तकनीक ऐसे प्लास्टिक कचरे के लिए विकसित की गयी है, जिसकी रिसाइक्लिंग संभव नहीं है. इस कचरे के सड़क निर्माण में इस्तेमाल से होने वाले लाभ के बारे में शाह ने कहा कि यह ना सिर्फ प्लास्टिक के लगातार इस्तेमाल को सुनिश्चित करेगा, बल्कि वित्तीय तौर पर लागत पर भी प्रभाव पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि हमारा अनुभव बताता है कि इस तकनीक से एक किलोमीटर लंबी सड़क बिछाने में एक टन प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल होता है. इससे हमें एक लाख रुपये बचाने में मदद मिलती है और इस तरह हमने 40 लाख रुपये बचाये हैं. सड़क निर्माण में कोलतार के आठ से 10 फीसदी तक इस्तेमाल के विकल्प के तौर पर हम इस प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल कर सकते हैं. इतना ही नहीं, यह सड़क की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है. इस तकनीक से सड़क निर्माण में दो महीने का समय लगा. साथ ही, इस प्रणाली से बनी सड़क पिछले साल की मानूसनी बारिश में भी खराब नहीं हुई.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version