NPR और NRC पर छिड़ी बहस के बीच जनगणना विभाग के Budget में 700% का इजाफा

नयी दिल्ली : देशभर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनआरसी) पर छिड़ी बहस के बीच आम बजट 2020-21 में जनसंख्या, सर्वेक्षण एवं सांख्यिकी और भारत के महारजिस्ट्रार विभाग का कुल बजट आवंटन करीब 700 फीसदी बढ़ाया गया है. वित्त वर्ष 2019-20 में विभाग के लिए कुल 621.33 करोड़ रुपये का प्रावधान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 1, 2020 5:30 PM

नयी दिल्ली : देशभर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनआरसी) पर छिड़ी बहस के बीच आम बजट 2020-21 में जनसंख्या, सर्वेक्षण एवं सांख्यिकी और भारत के महारजिस्ट्रार विभाग का कुल बजट आवंटन करीब 700 फीसदी बढ़ाया गया है. वित्त वर्ष 2019-20 में विभाग के लिए कुल 621.33 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जिसे 2020-21 के आम बजट में बढ़ाकर 4,568 करोड़ रुपये कर दिया गया है.

मौजूदा बजट प्रावधान पिछले बजट के मुकाबले 635.19 फीसदी अधिक है. इसमें जनगणना सर्वेक्षण और सांख्यिकी के लिए 4,278 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जो पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में किये गये 537.33 करोड़ रुपये के प्रावधान से 696.15 फीसदी अधिक है. हाल ही में सरकार ने जनगणना से जुड़े एनपीआर की समीक्षा कर इसे प्रासंगिक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अगले साल अप्रैल से सितंबर के बीच होने वाली इस जनगणना पर 8,500 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है.

एनपीआर में भारत के हर ‘सामान्य निवासी’ का पंजीकरण कराना अनिवार्य है. इसके संबंध में एक सामान्य निवासी वह व्यक्ति है, जो कम से कम छह महीने या उससे ज्यादा समय के लिए स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है या वह अगले छह महीने या उससे अधिक समय के लिए निवास करने की मंशा रखता है. एनपीआर को स्थानीय (गांव/ उप नगर), उप जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता नियम 2003 के तहत तैयार किया जायेगा.

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