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Budget 2020 : मेरा पैसा मेरी बचत, हर साल अपना टैक्स स्लैब बदल सकते हैं वेतनभोगी
इनकम टैक्स स्लैब : व्यवसायिक वर्ग के लिए नहीं है यह सुविधा वित्त मंत्री ने अपने बजट में पहली बार वेतनभोगी करदाताओं को दो तरीके से कर की गणना करते हुए आयकर रिटर्न दाखिल करने का मौका दिया है. साथ ही यह अवसर भी दिया है कि वेतनभोगी हर साल दोनों तरीके में से किसी […]
इनकम टैक्स स्लैब : व्यवसायिक वर्ग के लिए नहीं है यह सुविधा
वित्त मंत्री ने अपने बजट में पहली बार वेतनभोगी करदाताओं को दो तरीके से कर की गणना करते हुए आयकर रिटर्न दाखिल करने का मौका दिया है. साथ ही यह अवसर भी दिया है कि वेतनभोगी हर साल दोनों तरीके में से किसी एक का चुनाव कर अपना रिटर्न दाखिल कर सकते हैं. यानी कि अगर कोई वेतनभोगी एक वित्त वर्ष में कोई भी निवेश-बचत नहीं करता है, तो वह नये टैक्स स्लैब के अनुसार आय की घोषणा करते हुए टैक्स का भुगतान कर सकता है.
और अगर उसने अगले वित्त वर्ष में कर में छूट पाने के उद्देश्य से समुचित निवेश कर लिया है तो वह पुराने तरीके से कर की गणना को अपना सकता है. यह सुविधा व्यवसायी वर्ग को नहीं है. वैसे आयकर छूट को लेकर लोगों के मन में काफी ज्यादा सवाल हैं कि नया टैक्स स्लैब बेहतर है या फिर पुराना? क्योंकि नये टैक्स स्लैब की घोषणा करते हुए शर्त लगा दी है कि इसको अपनाने वाले करदाता को कोई भी छूट या रिबेट नहीं मिलेगा. हालांकि पुराने स्लैब के आधार पर आयकर भरनेवाले करदाताओं को पहले जैसी ही छूट या रिबेट मिलती रहेगी.
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि हमने ऐसे उपाय शुरू किये हैं, जिससे आयकर रिटर्न को समयपूर्व भरा जा सके, ताकि कोई भी शख्स जो नयी व्यवस्था को अपनाता है, उसे अपना रिटर्न दायर करने और आयकर का भुगतान करने में किसी एक्सपर्ट की सहायता लेने की जरूरत नहीं होगी.
लगभग 70 छूटों और कटौतियों को किया गया खत्म
वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर व्यवस्था को सरल बनाने के लिए टैक्स छूट के दायरे में आने वाले 100 से अधिक छूटों में से लगभग 70 छूटों और कटौतियों को खत्म कर दिया गया है. शेष छूटों और कटौतियों की समीक्षा की जायेगी और आने वाले वर्षों में उन्हें युक्तिसंगत बनाया जायेगा ताकि कर व्यवस्था को और सरल बनाया जा सके. उम्मीद की जा रही है सरकार सभी रियायतों को खत्म करने की तैयारी में है. नयी टैक्स व्यवस्था में आयकर अधिनियम की धारा 80सी, 80डी, 24 के तहत मिलने वाली सभी छूट का फायदा खत्म हो जायेगा. यानी कि टैक्स सेविंग के लिए इंश्योरेंस खरीदने, पीपीएफ, इएलएसएस में निवेश की जरूरत नहीं रह जायेगी. इसके चलते बचत करने की प्रवृत्ति खत्म हो सकती है.
अगर आप छोड़ना चाहते हैं छूट, तो ले सकते हैं घटी दर का फायदा
नयी कर व्यवस्था के तहत कुछ कटौतियों को हटाने का प्रस्ताव किया गया है. इनमें आवास भत्ता (एचआरए), स्टैंडर्ड डिडक्शन, आयकर अधिनियम की धारा 80 के तहत (बीमा प्रीमियम, भविष्य निधि एवं कई पेंशन योजनाओं में योगदान) मिलने वाली छूट शामिल है. नयी वैकल्पिक कर ढांचे में 30 प्रतिशत की उच्चतम दर 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर लागू होती है जबकि पहले से चल रहे ढांचे में 10 लाख रुपये से अधिक की आय 30 प्रतिशत की कर दर के तहत आती है.
कहीं कर नहीं देने वाले प्रवासी भारतीयों पर भारत में लगेगा कर
विदेशों में कर का भुगतान नहीं करने वाले प्रवासी भारतीयों को अब भारत में कर देना होगा. वित्त मंत्री सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में इसका प्रस्ताव किया है. फिलहाल, अगर कोई भारतीय या भारतीय मूल का व्यक्ति प्रवासी भारतीय के दर्जे को बरकरार रखते हुए भारत में रहता है तो उस पर उसकी वैश्विक आय पर भारत में कोई कर देनदारी नहीं बनती है. केंद्रीय बजट में अब प्रस्ताव किया गया है कि हर भारतीय नागरिक जो अपने निवास या प्रवास की वजह से किसी अन्य देश में कर देने के लिए पात्र नहीं है, उसे प्रवासी भारतीय माना जायेगा. फलत: उसकी वैश्विक आय भारत में कर योग्य होगी.
बजट में संबंधित निवास प्रावधान को कड़ा करते हुए इसमें भारतीय मूल के लोगों को गैर प्रवासी भारतीयों की श्रेणी में रखते हुए भारत में ठहरने की अवधि को भी मौजूदा 182 दिन से कम कर 120 दिन करने का प्रस्ताव किया है. राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा, कई मामलों में हमने पाया कि कुछ लोग किसी देश के निवासी नहीं है. वे अलग-अलग देशों में कुछ समय के लिए ठहरते हैं. कोई भी भारतीय नागरिक अगर वह किसी अन्य देश का नागरिक नहीं है, तो उसे भारतीय माना जायेगा.
15 लाख की आय पर 78 हजार बचत
निर्मला सीतारमण ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति की आमदनी सालाना 15 लाख रुपये है, और वह किसी कटौती का लाभ नहीं उठा रहा है, तो उसे पुरानी व्यवस्था में 2,73,000 रुपये का भुगतान करना होता है, जबकि नयी कर दर के अनुसार अब उसे 1,95,000 रुपये का भुगतान करना होगा. नये टैक्स स्लैब के मुताबिक उसे 78,000 रुपये की बचत होगी.
होम लोन
होम लोन ब्याज पर अतिरिक्त कटौती का लाभ मार्च तक मिलेगा
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री ने सस्ते मकानों के लिए 1.5 लाख रुपये के अतिरिक्त कर छूट के प्रावधान की समयसीमा मार्च 2021 तक के लिए बढ़ा दी. इस पहल का मकसद सस्ते मकान की मांग को बढ़ावा देना है. पिछले साल के बजट में 2 लाख रुपये के ब्याज छूट के अलावा 1.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त छूट की घोषणा की गयी थी.
यह लाभ पहली बार स्वयं के लिए 45 लाख रुपये मूल्य का मकान लेने वालों को मिलेगा. यह छूट इस साल मार्च तक के लिए ही उपलब्ध थी. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बिल्डरों को सस्ती आवासीय परियोजनाओं पर कर अवकाश मार्च 2021 तक मिलेगा. आयकर कानून की धारा 80 इइए के तहत डेढ़ लाख रुपये की अतिरिक्त कटौटी दो लाख रुपये के अतिरिक्त है, यानी कुल छूट 3.50 लाख रुपये पर मिलेगी. इसके अलावा आयकर कानून की धारा 80-आईबीए के तहत कर अवकाश उपलब्ध कराया गया है. यह उन परियोजनाओं पर लागू होगा जिसे उचित प्राधिकरण से एक जून 2016 से 31 मार्च 2020 के बीच मंजूरी मिली हो. इसे अब एक साल के लिए बढ़ाया गया है.
शेयर बाजार
सेंसेक्स-निफ्टी ने देखी 11 साल की सबसे बड़ी गिरावट
मुंबई : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दूसरा बजट बाजार उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और निवेशक बड़े प्रोत्साहनों के अभाव व राजकोषीय स्थिति से निराश लगे. इससे बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स शनिवार को 988 अंक का गोता लगाकर 40,000 अंक से नीचे आ गया. बजट के इतिहास में अंकों के हिसाब से सेंसेक्स में यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. पिछले 11 साल की भी यह सबसे बड़ी गिरावट है.
इससे पहले 24 अक्टूबर 2008 को यह 1070.63 अंक गिरा था. विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को उम्मीद थी कि सरकार सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कदम उठायेगी. बजट को लेकर उनकी उम्मीदें काफी ऊंची थीं, लेकिन बजट उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा. वित्त मंत्री द्वारा बजट भाषण में चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.8 प्रतिशत करने की घोषणा के साथ ही बाजार में जोरदार गिरावट आयी. इससे पहले राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.3 प्रतिशत रखा गया था.
निवेशकों को 3.46 लाख करोड़ का नुकसान : बजट में उम्मीद के मुताबिक घोषणाएं नहीं होने से निवेशकों में जबर्दस्त निराशा देखी गयी. भारी बिकवाली के बीच निवेशकों को 3.46 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. चौतरफा बिकवाली के बीच आइटी और टेक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर बढ़त में रहे.
पिछले सात बजट में पांच बार गिरा बाजार
1. फरवरी 2020 -987.96
5 जुलाई 2019 -394.67
1 फरवरी 2018 – 58.36
1 फरवरी 2017 प्लस 485.68
29 फरवरी 2016 प्लस 152.30
28 फरवरी 2015 प्लस 141. 38
10 जुलाई 2014 -72.06
शेयर बाजार में निराशा
बजट से निराश सेंसेक्स ने शनिवार लगाया 988 अंक का गोता
आइडीबीआइ बैंक में पूरी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा के बाद बैंक के शेयर में 10% की हुई बढ़ोतरी
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन : इक्विटी म्यूचुअल फंडों पर एलटीसीजी टैक्स बरकरार
मूडीज ने दी प्रतिक्रिया
मूडीज का मानना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा करों में कटौती के चलते वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटे का 3.5 प्रतिशत का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है. आम बजट में 2020-21 में राजकोषीय घाटे को 3.8 प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य तय किया गया है.
सब्सिडी खर्च में कमी
घट रहा है सब्सिडी खर्च, 227794 करोड़ रुपये का अनुमान
खाद्य सब्सिडी 115570 करोड़, पेट्रोलियम सब्सिडी 40915 करोड़ रहने का अनुमान
भारतीय मूल के लोग अब मात्र 120 दिन ही ठहर सकते हैं भारत में, पहले 150 दिन समय था
किसानों-गरीबों और मध्यम वर्ग को लाभ
किसानों की आय को दोगुना करने तथा मोदी सरकार के संकल्पों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा और करदाताओं को अभूतपूर्व राहत प्रदान करेगा. देश में 100 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ विश्व स्तरीय राजमार्ग, रेलवे, बंदरगाह, हवाई अड्डे, महानगर बनाये जायेंगे. मैं प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट पेश करने के लिए बधाई देता हूं, जिससे किसानों, गरीबों, वेतनभोगियों और मध्यम वर्ग को फायदा होगा.
– अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
निवेश को बढ़ावा देने के लिए बनाया जायेगा ‘निवेश क्लियरेंस सेल’
संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक निवेश क्लियरेंस सेल बनाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस सेल के लिए निवेशकों को काफी फायदा मिलेगा और कई दिक्कत दूर होंगी. इस सेल के जरिये निवेशकों को सिंगल विंडो क्लियरेंस देने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जायेगा ताकि निवेशकों को फायदा हो सके. साथ ही राज्यों के स्तर पर भी इसे लागू किया जायेगा, ताकि छोटे शहरों के निवेशकों को भी इसका फायदा मिलेगा.
कंपनियों पर डीडीटी समाप्त, बढ़ेगा निवेश
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री ने अपने बजट में कंपनियों पर लाभांश वितरण कर हटाने की घोषणा की. इससे अब लाभांश पर कर लाभांश प्राप्तकर्ता के हाथ में पहुंचने पर लगेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि प्रस्ताव से भारत निवेश के लिए और आकर्षक स्थल बनेगा.
उन्होंने कहा, यह एक और महत्वपूर्ण साहसिक कदम है जिससे भारत निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बनेगा. वित्त मंत्री के अनुसार हालांकि इससे 25,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा. फिलहाल कंपनियों को शेयरधारकों को दिये जाने वाले लाभांश भुगतान पर 15 प्रतिशत की दर से लाभांश वितरण कर (डीडीटी) देना होता है. इसके अलावा इस पर अधिभार और उपकर लगता है. यह कंपनी द्वारा लाभ पर दिये गये कर के अतिरिक्त होता है. वित्त मंत्री ने कहा कि डीडीटी लगाने से निवेशकों पर कर बोझ पड़ता है. खासकर उन पर जो आय में लाभांश जोड़ने पर डीडीटी के मुकाबले कम दर से कर चुकाने के हकदार हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादातर विदेशी निवेशकों को उनके अपने देश में डीडीटी क्रेडिट का लाभ उपलब्ध नहीं होने से उनके लिए शेयर पूंजी के प्रतिफल में कमी आती है.
एक नजर
कम जीएसटी दरों के कारण औसत परिवार के मासिक खर्च में 4 प्रतिशत की कमी आयी
पिछले दो साल में 60 लाख अधिक टैक्सपेर्यस को जोड़ा गया
जीएसटी से देश आर्थिक रूप से एकीकृत हुआ, इंस्पेक्टर राज खत्म हुआ. 1 अप्रैल 2020 से सरलीकृत नयी विवरणी प्रणाली शुरू की जायेगी
2014-19 में भारत का एफडीआइ बढ़कर 284 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंचा, केंद्र सरकार का ऋण घटकर मार्च 2019 में जीडीपी के 48.7% पर आ गया
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