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Budget 2020 विश्लेषण : यह एक सामान्य बजट है

लार्ड मेघनाद देसाई वरिष्ठ अर्थशास्त्री मेरे ख्याल से यह एक सामान्य बजट है. बजट को लेकर मुख्य सवाल अर्थव्यवस्था की वृद्धि को लेकर था कि इसमें वृद्धि कैसे होगी? यह कब तक धीमा रहेगा? इसके सुधार की दिशा में इस बजट में क्या किया जा रहा है और यह कब सुधरेगा? इसे लेकर कई सारे […]

लार्ड मेघनाद देसाई

वरिष्ठ अर्थशास्त्री

मेरे ख्याल से यह एक सामान्य बजट है. बजट को लेकर मुख्य सवाल अर्थव्यवस्था की वृद्धि को लेकर था कि इसमें वृद्धि कैसे होगी? यह कब तक धीमा रहेगा? इसके सुधार की दिशा में इस बजट में क्या किया जा रहा है और यह कब सुधरेगा?

इसे लेकर कई सारे सवाल थे और लोग बजट की ओर टकटकी लगा कर देख रहे थे कि इस दिशा में वित्त मंत्री की ओर से क्या किया जा रहा है, लेकिन उनकी ओर से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है, जिस पर हम विश्वास के साथ कह सकें कि अब विकास दर बढ़ेगी. इनकम टैक्स स्लैब में जो बदलाव किया गया है, वह ठीक है, लेकिन हमारी जो बड़ी मुश्किल है, वह इंवेस्टमेंट को लेकर है़ इंवेस्टमेंट और बैंक क्रेडिट की दिशा में कुछ नहीं किया गया है. लोगों को इंवेस्टमेंट करना है, लेकिन बैंक क्रेडिट नहीं देतेे हैं.

लोगों को गाड़ी खरीदनी है, लेकिन बैंक लोन नहीं देते़ ऐसे बहुत से उदाहरण हैं. इस पर बजट में कोई प्रावधान नहीं दिख रहा है. विकास को बढ़ावा देना है, तो इंवेस्टमेंट को बढ़ाना जरूरी है. अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जो महत्वपूर्ण कदम उठाने थे, उस पर कुछ नहीं किया गया है. बजट में कृषि और अन्य सेक्टरों पर बहुत सारी बातें की गयी हैं, पर अर्थव्यवस्था में तेजी कैसे आयेगी, विकास का दर किस तरह से बढ़ेगा, महंगाई कैसे कम होगी, लोगों के बचत कैसे होगी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है. विकास दर पांच फीसदी आ गयी है, इस बजट के बाद वह सुधरेगा, इसमें मुझे संदेह है.

इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट कहता है कि विकास दर छह से साढ़े छह प्रतिशत होगा, लेकिन हम विश्वास के साथ ऐसा नहीं कह सकते हैं, क्योंकि अर्थव्यवस्था में बहुत सारी मुश्किलें है, जिसे एड्रेस नहीं किया गया है. मेरे हिसाब से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और केंद्र सरकार, दोनों को संयुक्त रूप से इस पर काम करना चाहिए था, ताकि ब्याज दर कम हो. रिजर्व बैंक या सरकार द्वारा बैंकों को बहुत सारी लिक्विडिटी देने की जरूरत थी, जिससे वे लोगों को लोन दे सकें. पिछले कुछ दिनों में बैंकों में जो हुआ है, उससे बैंकों से लोन मिलना काफी कठिन हो गया है. बैंक एनपीए में खड़ी है. वह भी समस्या है. ब्याज को लेकर जो पॉलिसी बनानी थी, उस पर कुछ करने की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. इनकम टैक्स कम करेंगे, इंफ्रास्ट्रक्चर में पैसे डालेंगे, वह सब ठीक है, लेकिन आज के हालात में सिर्फ इतना भर से काम नहीं चलेगा.

मुझे खेद है कि इस बजट को लेकर लोग मुझे निगेटिव कहेंगे, लेकिन जब वित्त मंत्री ने बोलना शुरू किया, तो मुझे लगा कि अर्थव्यवस्था को बुस्टअप करने की जो फीलिंग होनी चाहिए, वह नहीं दिखा. वह वैसे बोल रही थीं, जैसे अर्थव्यवस्था में सबकुछ ठीक चल रहा है. टैक्स थोड़ा कम कर देने से बांकी चीजें ठीक हो जायेंगी. इसलिए मुझे शंका है कि इस बजट से भारत के आर्थिक विकास की दिशा में कोई बहुत बड़ा सुधार होगा.

जहां तक टैक्स स्लैब की बात है, तो मेरे हिसाब से भारत में ज्यादातर इनकम टैक्स देने वाले मिडिल क्लास से ऊपर हैं. बहुत सारे लोग इनकम टैक्स आज भी नहीं देते हैं. यदि यह मिडिल क्लास को खुश करने की दिशा में बजट बताया जा रहा है, तो इसमें भी मुझे शक है कि इसका फायदा सरकार को मिलेगा, क्योंकि इससे भी शायद ऊपर के 10 से 15 प्रतिशत लोगों को ही इसका लाभ मिलेगा. निश्चित रूप से इस बजट को सामान्य बजट कहा जा सकता है. इस बजट से तत्काल कोई नुकसान नहीं हो, लेकिन इसका फायदा भी नहीं मिलने वाला है.

(अंजनी कुमार सिंह से बातचीत पर आधारित)

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