विक्रम सिंह सांखला
बजट में कंपनीज एक्ट को गैर-अपराधिक बनाने और किसी प्रकार की रियायत नहीं लेने वालों के लिए आयकर की दर में व्यापक कमी की गयी है. नयी कर व्यवस्था को स्वीकार करना स्वैच्छिक है. वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि नये कर प्रस्तावों से मुकदमों में कमी आयेगी. नयी कर व्यवस्था निवेशकों के लिए अच्छी है, जो कर बचाने की बजाय बेहतर सुविधा चाहते हैं.
कई निवेशक नयी कर दरों को स्वीकार करेंगे, क्योंकि वे इक्विटी योजना में लॉक इन पीरियड नहीं चाहते हैं. हालांकि, उनकी कर योग्य आय में वृद्धि होगी, क्योंकि डिविडेंड का पैसा उनके हाथों में आयेगा. निवेश के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड से दीर्घकालिक लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.
सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए एक बेहतर व्यवस्था बनायी है. सरकार ने सार्वजनिक बैंकों में 3.5 लाख करोड़ रुपये लगाया है, ताकि जरूरी पूंजी और वित्तीय वृद्धि की जरूरतों को पूरा कर सकें. डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को खत्म करने से इक्विटी में निवेश करना आकर्षक होगा. इससे विदेशी निवेशकों को फायदा होगा और वे कर संधि की सुविधा का लाभ उठा पायेंगे.
बजट में निवेश मंजूरी सेल के गठन का प्रस्ताव किया गया है. बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं के लिए सॉवरेन वेल्थ फंड पर 100 फीसदी छूट का प्रावधान किया गया है. बैंक डूबने की स्थिति में खाताधारकों को पांच लाख रुपये का बीमा कवर दिया गया है. इससे बैंकों के प्रति आम लोगों का विश्वास बढ़ेगा.
पूरे वित्तीय वर्ष के लिए पूंजीगत खर्च बढ़ाकर चार लाख करोड़ रुपये से अधिक कर दिया गया है. सरकार का पूंजीगत खर्च 21 फीसदी बढ़ाया गया है. इससे अर्थव्यवस्था में पूंजी की कमी नहीं होगी. कुल मिलाकर बजट में अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के उपायों पर जोर दिया गया है और इसके लिए लोगों के बचत को बढ़ाने की कोशिश की गयी है.
बजट में विदेशी निवेशकों का अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ाने और उद्यमिता को आसान बनाने की पहल की गयी है. कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 16 सूत्रीय कार्य योजना बतायी गयी है. अप्रैल 2020 से जीएसटी दाखिल करने की प्रकिया और आसान बनायी जायेगी. टैक्स पेयर चार्टर जल्द लागू होगा. विकास के लिए कार्ययोजना पेश कर दी गयी है और अब देखना है कि इसका क्रियान्वयन कैसे होता है.
लेखक वित्तीय मामलों के जानकार और पूर्व आईआरएस अधिकारी हैं.
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