जीएसटी में हेराफेरी के लिए 1,200 करोड़ रुपये के फर्जी बिल का इस्तेमाल, एक गिरफ्तार

नयी दिल्ली : दिल्ली में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) अधिकारियों ने कहा है कि कर लाभ लेने के लिए 1,200 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के फर्जी बिल का कथित रूप से इस्तेमाल करने को लेकर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. पश्चिम दिल्ली आयुक्त कार्यालय के सोमवार के एक बयान के अनुसार, हाल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2020 6:25 PM

नयी दिल्ली : दिल्ली में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) अधिकारियों ने कहा है कि कर लाभ लेने के लिए 1,200 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के फर्जी बिल का कथित रूप से इस्तेमाल करने को लेकर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. पश्चिम दिल्ली आयुक्त कार्यालय के सोमवार के एक बयान के अनुसार, हाल में गिरफ्तार दया शंकर कुशवाहा ने सरकार के साथ धोखाधड़ी के लिए 49 मुखौटा कंपनियों के नेटवर्क का इस्तेमाल किया.

बयान के अनुसार, ‘केंद्रीय कर से जुड़ी कर चोरी निरोधक इकाई पश्चिम दिल्ली आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों ने 124 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) से जुड़े 1,200 करोड़ रुपये के फर्जी बिल काटने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इसमें 49 मुखौटा कंपनियों के नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया था.’

इस गोरखधंधे में वस्तुओं की खरीद के फर्जी बिल काटे गये, ताकि वे उसके अधार इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकें, जबकि उन्होंने वास्तव में एक नग भी माल प्राप्त नहीं किया था. बयान में कहा गया है, ‘खरीदारों को फर्जी बिल जारी किये गये. उन लोगों ने बिना कोई वस्तु लिए धोखाधड़ी कर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया. दया शंकर कुशवाहा ने जांचकर्ताओं के समक्ष स्वीकार किया कि बिलों के एवज में कोई वस्तु नहीं ली गयी.’

जांच में पाया गया कि कुशवाहा ने धोखाधड़ी कर दो अलग-अलग पैन कार्ड प्राप्त किये. इसमें जो फोटो इस्तेमाल किये गये, उसे फोटोशॉप के जरिये यानी डिजिटल रूप से कुछ बदलाव किये गये थे. उसके जरिये उसने 14 कंपनियां बनायीं. शेष 35 कंपनियां गरीब लोगों के केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) दस्तावेज चुराकर 35 कंपनियां बनायी.

पश्चिमी दिल्ली आयुक्त कार्यालय के बयान में अनुसार, ‘कुल मिलाकर आरोपी ने 297 कंपनियां बनायीं. इनमें से कुछ का उपयोग बैंक लेन-देन के लिए किया गया.’ शुरुआती जांच में 60 से अधिक बैंक खातों का पता चला है. इन खातों का इस्तेमाल एक जगह से दूसरी जगह लेन-देन में किया जा रहा था, ताकि वे सही लगे.

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